Page 64 - Mann Ki Baat - November2022
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मस़््र टडस्ट्ॉ़िी का इ़्ाज त़्ाशना-
                  ु
               आत्मजनभ्मर भारत की एक कसरौटी



                                          फिरने से पूरी तरह िाचार हो जाता है
                                          और दैफनक फक्रयाओं तक के फिए उसे
                                          दूसरों  पर  फनभ्यर  रहना  पड़ता  है।  यह
                                          बीमारी फकसी भी उम्र में हो सकती है
                                          और कभी-कभी तो एक ही परर्ार में
                                          दो  से  अफधिक  बच्ों  को  भी  हो  सकती
                                          है। मसकुिर फडसट्ॉफ़ी बीमारी से अब
                                          भी कई िोग अनजान हैं, इसफिए देश
                                          में  इस  रोग  से  पीफड़त  िोगों  की  सही
                 संजना गोयि               संखया का अनुमान िगा पाना मुतशकि
         अधयक्ष, इंफडयन एसोफसएशन ऑफ़ मसकुिर   है। चूँफक इस बीमारी का इिाज नहीं है,
                    फडसट्ॉफ़ी              इसफिए कई िोग जागरूकता की कमी
                                          के कारण उलटे-सीधिे या ग़ित फनदान के
                                          जाि में िूँस जाते हैं। चूँफक यह फनरनतर
                                          बढ़ने  ्ािा  अनु्ांफशक  फ्कार  है,
                                          इसफिए मरीज़ बहुत ही कषटमय जी्न
                                          जीता  है,  फ्शे्कर  यफद  पररजनों  का
                                          वय्हार  उसके  प्रफत  सं्ेदनशीि  और
                                          सहानुभूफतपूण्य  न  हो।  इसफिए  मरीज़
            इंफडयन   एसोफसएशन     ऑफ़      को समय पर भा्ना्मक और अचछी
        मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी  (IAMD)  प्रधिानमंत्ी   देखभाि फमिना बहुत ज़रूरी है ताफक
        नरेनद्र मोदी का अ्यनत आभारी है फक   बीमारी  का  प्रबनधिन  करने  के  तरीके
        उनहोंने अपने ‘मन की बात’ समबोधिन   सीखे जा सकें। यह सीखना के्ि मरीज़
        में  मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी  का  उलिेख   के फिए ही नहीं अफपतु उसके परर्ार के
        करके  देश  में  इसके  प्रफत  फचरप्रतीफक्षत   फिए भी महत््पूण्य है, ्योंफक इस बीमारी
        जागरूकता  पैदा  की।  िफकन  अब  भी   के उपचार की कोई द्ा नहीं है।
                           े
        मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी  से  पीफड़त  अतनतम    फकसी  भी  मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी
        वयत्त तक पहुँचने के फिए बहुत कुछ   से  पीफड़त  रोगी  के  फिए  नयूनतम
        फकया जाना बाकी है।                आ्शयकता  है–  एक  परर्ार  और
            मसकुिर    फडसट्ॉफ़ी   (एमडी)   चौबीस  घंटे  सहानुभूफतपू््यक  देखभाि
        एक  िाइिाज,  फनरनतर  बढ़ने  ्ािा   करने ्ािा एक सहायक, ्योंफक मरीज़
        नयूरोमसकुिर  जैनेफटक  फडसऑड्डर  है,   पूरी तरह से दूसरों पर फनभ्यर होता है।
        फजसमें शरीर की मांसपेफशयाँ शत्तहीन   चूँफक यह बीमारी मांसपेफशयों के फ्कार
        होती जाती हैं और मरीज़ अनततिः चिने-  से समबतनधित है, इसफिए फफ़फज़योिेरेपी

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