Page 34 - Mann Ki Baat January, 2023
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्सपल ्पूर
पूव्य प्रो-वयाइि चयािलर, जवयाहरलयाल नेहरू सव्वसवद्ययाल्
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अिादद काल से भारत लोकतंत्र की जििी
लो्तंत्र िसद्ों िे भयारत ्या वयासतसव् त्थ् ्ह है स् प्रयाचीन्याल ि े
असवभयाज् अंग रहया है। हम वो िमयाज ही भयारती् िमयाज लो्तयांसत्र् थया।
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हैं जहयाँ बयाररश ् मौिम में चींस्ट्ों ्ो लो्तंत्र और डेमोक्रेिी में अनतर
आ्टया और चीनी दी जयाती है, ए् ऐिया है। डेमोक्रेिी – डेमो ्यासन ् लोगों वियारया
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िमयाज जहयाँ हर सदन ए् रो्टी जयानवर ् े सथयासपत ए् सन्म है, इिसलए लो्तंत्र
सलए, ए् ियाधिु ् सलए और ए् मेहमयान ए् रयाजनीसत् व्वसथया है। भयारत में
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् सलए बनयाई जयाती है; ्ह ियासबत ्रतया डेमोक्रेिी ् िम्षि श्द प्रजयातंत्र है,
है स् हम सबनया प्र्याि स्ए लो्तयांसत्र् जो ् ए् रयाजनीसत् श्द है। ्ोई
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हैं। भयारत में लो्तंत्र इतनी पुरयानी प्रथया रयाज्/देश प्रजयातयांसत्र् हो ि्तया है, वहया ँ
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थी स् भयारत ् लोग सवतंत्रतया ् बयाद चुनयाव और वोस्टिंग हो ि्ती है, लस्न
आियानी िे इिे अपनया ि्। े हो ि्तया है स् उि िमयाज में िद भयावनया
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प्रयाचीन्याल िे ही भयारत में ्या िमयानतया न हो। पश्चमी दसन्या ् इि
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लो्तयांसत्र् जड़ होने ् प्रमयाण और आम समथ् ्ो दूर ्रने ् सलए स्
भयारती्ों ्ी रगों में दौड़ रहे लो्तयांसत्र् डेमोक्रेिी और लो्तंत्र ए् ही हैं, ए्
म््ों ्ो प्र्याश में लयाने ्ी ज़रूरत ्ो स्तयाब सलखने और लोगों ्ो इि अनतर
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पूरया ्रने ् सलए ही ‘भयारत-लो्तंत्र ्ी ् बयारे में बतयाने ् ियाथ-ियाथ ्ह ियासबत
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जननी’ स्तयाब ्ी शुरुआत हुई। ्रने ्या सवचयार हुआ स् प्रयाचीन्याल
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्ह पहली पुसत् है सजिमें ्हया ग्या िे लो्तंत्र भयारत में ग्रीि ् पहले भी
है स् लो्तंत्र ्या स्ोत पश्चमी िंस्कृसत अशसततव में थया और ्ह भयारती् परमपरया
में नहीं बश्् भयारती् िंस्कृसत में है। ्या सहसिया रहया है।
पश्चमी लोगों ्या दयावया है स् लो्तंत्र ्ी ्ह पुसत् बतयाती है स् भयारत में
उतपसत् प्रयाचीन ग्रीि में हुई थी, जब ए् प्रजयातंत्र श्द ने लो्तंत्र ्या सथयान क्ों
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प्रसिद् सवचयार् अरसत ने ‘पॉसलस्टकि’ सल्या। लो्तंत्र सिफ़फ़ इियानों ् बीच ही
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नयाम् ए् पुसत् सलखी थी सजिमें नहीं, बश्् हर जीव ् बीच भी िमयानतया
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उनहोंने िर्यार ् लो्तयांसत्र् सवरूप ्ी बयात ्रतया है। उदयाहरण ् सलए, ्ोई
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् बयारे में बयात ्ी थी। इिी प्र्यार उन् े अन् िभ्तया नहीं है जो भयारत ् प्रयाचीन
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गुरु पले्टो ने भी ‘ररपश्ल्’ नयाम िे ए् जैन धिम्य ् म््ों ्ी बरयाबरी ्र ि्।
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िंवयाद सलखया, सजि्या अपने आप में अथ्य उन्या ियासहत् ्हतया है स् नदी ् बहयाव
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िर्यार ्या लो्तयासत्र् रूप है। हयालयाँस् ्ो रो्नया ्या पड़ ्ो बढ़ने िे रो्नया,
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