Page 35 - Mann Ki Baat January, 2023
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दोनों सहिया ् बरयाबर है। बहनया ए् नदी जनजयासत्याँ अभी भी लो्तयासत्र् तरी् े
्या और बढ़नया पेड़ों ्या असधि्यार है। तो िे अपनया सनण्य् लेती हैं।
्ह म्् स् प्रत्े् जीव सवतंत्र है, ्ही इि पुसत् ्ो त्यार ्रते िम्
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लो्तंत्र है। प्रजयातंत्र लो्तंत्र ्या ही प्रयाचीन भयारत में लो्तंत्र ्ी धियासम्य्
ए् रूप है। इिी बयात पर प्र्याश डयालन े प्रयािसग्तया पर भी सवचयार स््या ग्या थया।
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्ी आव्््तया महिूि ्र, ICHR ् े जैन, बौद् और सिख धिम्य में लो्तंत्र ् े
सवशेषज्याों ् िह्ोग िे इि पुसत् ्ी उद्रणों पर प्र्याश डयालया ग्या है। उदयाहरण
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शुरुआत ्ी गई। ् सलए बौद् धिम्य में िंघ ्या ्ॉनिप्ट
‘भयारत-लो्तंत्र ्ी जननी’ पुसत् हुआ ्रतया थया। सभषि सवहयार में ए् ियाथ
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‘लो्तंत्र’ ्ी सवरयाित पर भी प्र्याश रहते थे, जहयाँ वे सवहयारों ् ्याम्याज़ और
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डयालती है। पयासणसन वियारया सलसखत लगभग प्रशयािन ्ो देखने ् सलए अपने में िे ए्
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2800 वष्य पुरयानया ियासहत् ‘अष्टयाध्या्ी’ व्शकत ्ो चुनते थे। बैठ् आ्ोसजत ्ी
जनपद, गणतंत्र और रयाज्तंत्र ् े जयाती थीं सजिमें प्रशयाि् उन प्रसतयावों ्ी
अशसततव ्ी बयात ्रतया है। ्ह जनों ्ो घोषणया ्रतया थया जो उिे प्रयापत हुए थे और
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िमसप्यत ए् प्रणयाली ् अशसततव ्ी ओर िभी सभषिओं ्ो अपनी आपसत््याँ, ्सद
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इशयारया ्रते हुए ए् श्रणीबद् प्रणयाली ्ोई हो, उठयाने ् सलए ए् मंच सद्या जयातया
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्ो दशया्यतया है। लगभग 300 ई.पू.-700 ई.पू. थया। ्वल आपसत््ों ् अभयाव में प्रसतयावों
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सहमयाल् षित्र में सनवयाि ्रने वयाली िभी ्ो अमल स््या जयातया थया। ऐिी शसथसत में
जनजयासत्याँ लो्तयासत्र् थीं। अष्टयाध्या्ी जहयाँ दो सवपरीत प्रसतयाव होते थे और सनण्य्
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और ऋगवद भी पठयानों (ऋगवद में पखतया), लेनया ्सठन होतया थया, प्रशयाि् सभषिओं ् े
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बलसच्ों (ऋगवद में बसलनया), अिरीदी बीच मतदयान ्रवयातया थया। दसषिण भयारत ्या
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(ऋगवद में असप्रतया) जिी जनजयासत्ों ् े उसत्रमेरूर सशलयालेख भी दसषिण भयारत
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बयारे में बयात ्रते हैं जो िभी लो्तयासत्र् में ए् मतदयान प्रणयाली ् अशसततव ्ो
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थे। ्ोई भी बड़या सनण्य् लेने ् सलए व े सदखयातया है।
िभी ए् ियाथ बैठते थे, सजिे ‘सजरगया’ आधिसन् रयाजनीसत सवज्यायान में आज
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् नयाम िे जयानया जयातया थया। इि्या दिरया ्यात्र इन लो्तयांसत्र् तरी्ों ् बयारे में
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रूप ्् वष्य पव्य त् सिखों में िरबत पढ़ते हैं, लस्न भयारत में ्ह िब आसद
खयालिया ् रूप में पया्या जयातया है। ऋगवद ्याल िे मौजूद है। भयारत में, लो्तंत्र
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िभया और िसमसत्ों ्ी बयात भी ्रतया ए् पुरयानी प्रथया है, और इि पुसत् ् े
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है। उन सदनों िमुदया् सवशयासित थे, व े मयाध्म िे हमने लो्तंत्र ् वयासतसव्
आतमसनभ्यर थे। ियार ्ो ियामने लयाने ्या प्र्याि स््या
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पुसत् ्या ए् अन् है और ियाथ ही बतया्या है स् ्ि े
भयाग आसदवयािी िमयाज ् े भयारती्, ्ुगों पहले िे, लो्तंत्र ि े
बयारे में बयात ्रतया है। आज अच्ी तरह पररसचत रहे हैं, सजििे
भी सवशेष रूप िे भयारत ् े ्ह ियासबत होतया है स् वयासतव में
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उत्रपवमी भयाग ्ी खयािी भयारत लो्तंत्र ्ी जननी है।
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और ज्ंसत्या जिी
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