Page 14 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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िानकारी िेते हैं। िरोिकार की ्े भावना   इ्साइकलोिीपड्ा भी त्ार होगा और
                                                                                                                                             ै
                                                                                       गाँवों  में  रहने  वालों  के  िीवन  में  नई   पिर इसे MyGov िोट्टल िर िनबलश कर
                                                                                         ु
                                                                                       खपश्ाँ  लेकर  आई  है।  मैं  इसके  पलए   सकते हैं।
                                                                                       मपडकल कॉलि के सभी पवद्ापिषि्ों का      सापि्ो, ‘मन की बात’ में इस बार
                                                                                                  े
                                                                                         े
                                                                                       अपभनिन करता हँ। ू                  इतना ही, लपकन चलते-चलते मैं आिको
                                                                                            ं
                                                                                                                                   े
                                                                                           सापि्ो, ‘मन की बात’ में नए-नए   नेशनल  गेमस  के  बारे  में  भी  बताना
                                                                                                                                                 ु
                                                                                                                                 ू
                                                                                       पव््ों की चचाषि होती रहती है। कई बार   चाहता  हँ।  29  पसतमबर  से  गिरात  में
                                                                                       इस का्षिक्रम के ़िररए हमें कुछ िुरान  े  नेशनल गेमस का आ्ोिन हो रहा है।
                                                                                       पव््ों  की  गहराई  में  भी  उतरने  का   ्े बड़ा ही ख़ास मौका है, क्ोंपक नेशनल
                                                                                       मौक़ा पमलता है। पिछले महीने ‘मन की   गेमस  का  आ्ोिन,  कई  साल  बाि  हो
                                                                                       बात’ में मैंने मोटे अनाि और व्षि 2023   रहा  है।  कोपवड  महामारी  की  विह  स  े
                      ै
                                                                                                           ्
        है  त्ोहारों  िर  िपकंग  और  िैकेपिंग   आकर पकसी ना पकसी टीबी से िीपड़त         को  ‘इंटरनेशनल  पमलेट स  इ्र’  के   पिछली बार के आ्ोिनों को रद्द करना
        के  पलए  िॉलीिीन  बैगस  का  भी  बहुत   मरीज़ को गोि ले रहे हैं, उसके िौनषटक    तौर िर मनाने से िुड़ी चचाषि की िी। इस   िड़ा िा। इस खेल प्रपत्ोपगता में पहससा
                                                                                                                  ु
        इसतेमाल होता रहा है। सवचछता के िवशों   आहार का बीड़ा उठा रहे हैं। िरअसल,        पव्् को लेकर लोगों में बहुत उतसकता   लेने वाले हर पखलाड़ी को मेरी बहुत-बहुत
        िर िॉलीिीन का नुकसानकारक कचरा,     ्े टीबी मुकत भारत अपभ्ान का एक              है।  मुझे  ऐसे  ढेरों  ित्र  पमले  हैं,  पिसमें   शुभकामनाएँ।  इस  पिन  पखलापड़्ों  का
                                                                                                                 ्
        ्े भी हमारे िवशों की भावना के पखलाि   पहससा है, पिसका आधार िनभागीिारी          लोग बता रहे हैं उ्होंने कैसे पमलेट स को   उतसाह बढ़ाने के पलए मैं उनके बीच में
        है।  इसपलए,  हम  सिानी्  सतर  िर  बने   है, कतषिव् भावना है। सही िो्ण से ही,   अिने  िपनक  भोिन  का  पहससा  बना्ा   ही रहँगा। आि सब भी नेशनल गेमस को
                                                                                             ै
                                                                                                                              ू
        हुए नॉन-पलानसटक बैगस का ही इसतेमाल   सही  सम्  िर  पमली  िवाइ्ों  से  टीबी     हुआ है। कुछ लोगों ने पमलेट से बनन  े  ज़रूर िॉलो करें और अिने पखलापड़्ों
        करें। हमारे ्हाँ िूट के, सूत के, केले के,   का  इलाि  संभव  है।  मुझे  पवशवास  ह  ै  वाले िारमिररक व्ंिनों के बारे में भी   का हौसला बढ़ाएँ। अब मैं आि के पलए
        ऐसे पकतने ही िारमिररक बैगस का चलन   पक िनभागीिारी की इस शनकत से व्षि           बता्ा है। ्े एक बड़े बिलाव के संकेत   पविा  लेता  हँ।  अगले  महीने  ‘मन  की
                                                                                                                                    ू
        एक बार पिर से बढ़ रहा है। ्े हमारी   2025 तक भारत ़िरूर टीबी से मुकत हो         हैं। लोगों के इस उतसाह को िेखकर मुझ  े  बात’ में नए पव््ों के साि आिसे पिर
        पज़ममेिारी है पक हम त्ोहारों के अवसर   िाएगा।                                  लगता है पक हमें पमलकर एक ई-बुक     मुलाक़ात होगी। ध््वाि। नमसकार।
                                                                                         ै
        िर इनको बढ़ावा िें और सवचछता के साि    सापि्ो,  केंद्रशापसत  प्रिेश  िािरा-     त्ार करनी चापहए, पिसमें लोग पमलेट
        अिने और ि्ाषिवरण के सवासर् का भी   नगर हवेली और िमन-िीव से भी मुझ  े           से बनने वाले पडशेज़ और अिने अनुभवों
        ख्ाल रखें।                         एक ऐसा उिाहरण िानने को पमला है,             को साझा कर सकें, इससे इंटरनेशनल     मन की बात सुनने के पलए
                                                                                            ्
                                           िो मन को छू लेता है। ्हाँ के आपिवासी        पमलेट स इ्र शुरू होने से िहले हमार  े  QR कोड सकैन करें।
                                            े
            मेरे  प्ारे  िेशवापस्ो,  हमारे   क्त्र  में  रहने  वाली  पिनु  रावती्ािी  न  े  िास  पमलेट स  को  लेकर  एक  िनबलक
                                                                                                ्
        शासत्रों में कहा ग्ा है –          पलखा  है  पक  वहाँ  चल  रहे  ग्राम  ित्तक
            ‘िरपहत सररस धरम नहीं भाई’      का्षिक्रम के तहत मपडकल कॉलि के
                                                           े
                                                                     े
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            ्ानी िूसरों का पहत करने के समान,   सटूडेंट स ने 50 गाँवों को गोि पल्ा है।
        िूसरों की सेवा करने, उिकार करने के   इसमें  पिनिी  का  गाँव  भी  शापमल  है।
                                                   ु
        समान  कोई  और  धमषि  नहीं  है।  पिछल  े  मपडकल  के  ्े  छात्र,  बीमारी  से  बचन  े
                                            े
        पिनों िेश में, समाि सेवा की इसी भावना   के  पलए  गाँव  के  लोगों  को  िागरूक
        की एक और झलक िेखने को पमली।        करते  हैं,  बीमारी  में  मिि  भी  करते  हैं
        आिने  भी  िेखा  होगा  पक  लोग  आग  े  और सरकारी ्ोिनाओं के बारे में भी


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