Page 20 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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िेने से खो्ा हुआ िाररनसिपतक तंत्र एक   िोनों  िेशों  की  तकनीकी  पवश्ज्ाता
                                                                                                                                                    े
                     भारत में चीता – एक आदर्श                                          बार पिर िीवंत होगा और िाररनसिपतक   की मिि से आठ चीते (5 मािा और 3 नर)
                            वन्य जीव संरक्षण                                           पिरापमड में भी संतुलन का्म हो सकेगा।   सिलतािूवषिक भारत लाकर खुले बाड़े में
                                                                                       ्ही नहीं, शुषक घास के मिानों और मुकत   छोड़े गए।
                                                                                                          ै
                                                                                                                                   ं
                                                                                       वन िाररनसिपतक तंत्र तिा चीता लुपत होन  े  प्रधानमत्री  ने  अिने  ‘मन  की  बात’
                                           के बारे में पनणषि् पल्ा िाएगा तापक इनकी     के साि ही लुपत हुई अ्् प्रिापत्ों की   का्षिक्रम  में  िेश  में  एक  बार  पिर  स  े
                                           संख्ा 40-45 तक की िा सके।                   पवपवधता में भी िान िकूकी िा सकेगी।  चीते आने िर नागररकों के बीच ििा हुई
                                                                                                        ँ
                                                                                                                                                    ै
                                              चीतों  को  भारत  में  पिर  से  बसा्ा         1952  से  और  पिर  2009  से  पनरंतर   उतसकता को रेखापकत पक्ा। लोगों की
                                                                                                                              ु
                                                                                                                                        ं
                                           िाना, व््िीव और िैव पवपवधता संरक्ण          प्र्ास करके भारत में चीता आबािी शुरू   इसी  पिज्ाासा  को  आगे  बढ़ाने  के  पलए
                                           के प्रपत िेश की पनषठा और प्रपतबदता ही       करने  की  पिशा  में  एक  ठोस  मंच  त्ार   उ्होंने प्रत्ेक नागररक से अनुरोध पक्ा
                                                                                                                   ै
                                           नहीं िशाषिता, बनलक ्ह भी बताता है पक िेश    पक्ा ग्ा। इस लक्् को लेकर हुए पवचार-  पक इस िहल को एक नाम पिए िाने के
                                            ै
                                           नपतक, िाररनसिपतक और आपिषिक साधनों           पवमशषि के बाि पवसतत सवगेक्ण करके उन   बारे में अिने सुझाव ि और ्हाँ आए सभी
                                                                                                                                          ें
                                                                                                      ृ
                                               ं
                                           के  सिभषि  में  अिनी  प्राकृपतक  पवरासत     समभापवत  सिलों  की  िहचान  की  गई;   चीतों  के  िारमिररक  अिवा  अिने-अिन  े
                                           बहाल करने के पलए भी कपटबद है।               िहाँ इ्ह पिर से बसा्ा िा सकता िा।   समाि की संसकृपत से िुड़े नाम सुझाएँ।
                                                                                              ें
                                              इस  महत्विणषि  प्र्ास  के  िीछे  का      आई्ूसीएन के पिशा-पनिगेशों के आधार िर   हमारे  सपवधान  में  पनधाषिररत  प्रत्ेक
                                                        ू
                                                                                                                                    ं
                डॉ. एस. िी. ्ािव           इपतहास  हमें  1952  में  ले  िाता  है,  िब   प्रिापत्ों की व्वहा्षिता, उि्ुकत आवास,   नागररक के मौपलक कत्तषिव्ों में उललख
                                                                                                                                                      े
         सिस् सपचव, राषट्ी् बाघ संरक्ण प्रापधकरण   व््िीव मंडल की िहली बैठक में सवीकार   नषट न हो सकने वाले सिान और पशकार   है पक वनों, झीलों, नपि्ों और व््िीवों
        ि्ाषिवरण, वापनकी एवं िलवा्ु िररवतषिन मत्राल्  पक्ा ग्ा िा पक िेश में चीता लुपतप्रा् हो   के  पलए  ि्ाषिपत  िीव-िंतुओं  का  आधार   सपहत प्राकृपतक ि्ाषिवरण की रक्ा करना,
                                  ं
                                           चुका है। इसी बैठक में चीता संरक्ण को        ध्ान  में  रखते  हुए  10  समभापवत  सिलों   इसे बेहतर बनाना और हर िीव-िंतु के
                                              े
                                           पवश् प्रािपमकता पिए िाने िर ततकाल           िर पवचार पक्ा ग्ा। इनमें  मध् प्रिेश   पलए  करुणा  रखना  हमारा  कत्तषिव्  है।
                                                                                                            ू
                                                                                            कू
                                 ं
            17 पसतमबर, 2022 को प्रधानमत्री द्ारा   ध्ान िेने का आह्ान पक्ा ग्ा। इसके   का कनो राषट्ी् उद्ान, ््नतम सुधार   आइए, इ्हीं बातों को ध्ान में रखते हुए
        कनो राषट्ी् उद्ान में चीता (एपस्ोपनकस   बाि ही ईरान, िपक्ण अफ्ीका िैसे िेशों के   के साि सभी मानिंड िूरा करने में सबस  े  हम भारत के िंगली इलाके में छोड़े गए
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                                  ु
        िुबेटस) छोड़ा िाना सभी के पलए ख़शी का   साि इस बारे में बातचीत शुरू हुई।         उि्ुकत माना ग्ा।                   चीतों के संरक्ण के पलए पमलकर प्र्ास
                                                                                                         कू
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        िल िा। ्ह भी उललखनी् है पक भारत       भारत में चीते पवलुपत होने का िररणाम          748 वगषि पकमी का कनो राषट्ी् उद्ान,   करें।  इसके  पलए,  आस-िास  के  सभी
        में चीता का आगमन, आज़ािी के अमृत   ्ह  हुआ  पक  1972  में  व््िीव  संरक्ण      6,800  वगषि  पकमी  में  िले  श्ोिुर-पशविुरी   गाँवों  में  ‘चीता  पमत्र’  पन्ुकत  पकए  गए
                                                                                                        ै
        महोतसव के बीच हुआ है। चीतों को एक   अपधपन्म लागू पक्ा ग्ा, पिसके तहत           शुषक ितझड़ वाले मुकत वन का पहससा है।   हैं तिा लोगों और छात्रों के बीच व्ािक
        महाद्ीि  के  िंगल  से  िूसरे  महाद्ीि  के   वैज्ाापनक कारणों अिवा मानव िीवन के   पशकार ्ोग् िानवरों के घनतव के आधार   िागरूकता अपभ्ान भी शुरू पक्ा ग्ा
        िंगल में ला कर बसाना भी अिने-आि    पलए  ख़तरा  उतिन्  होने  की  नसिपत  के       िर ्हाँ  अपधकतम 21 चीते रह सकते हैं।   है।
        में एक ऐपतहापसक घटना है। नामीपब्ा स  े  अलावा,  हर  प्रकार  के  िंगली  िानवरों     भारत में एक बार पिर से चीते की
                                                             ें
        8 चीतों को एक चाटड्ट मालवाहक पवमान   का  पशकार  और  उ्ह  िकड़ना  अवैध           उिनसिपत ििषि करने के पलए िूरी पनषठा
                       ्ट
        से ला कर कनो राषट्ी् उद्ान के एकांत   घोप्त कर पि्ा ग्ा। इस प्रकार भारत        से हुए प्र्ासों की बिौलत नामीपब्ा और   'चीता पमत्र' के बारे में अपधक
                  कू
        बाड़ों  में  छोड़ा  ग्ा  है।  इसके  अलावा,   में वापनकी और व््िीव संरक्ण के तौर-  भारत के बीच समझौता ज्ाािन िर हसताक्र   िानने के पलए QR कोड सकैन
        िपक्ण अफ्ीका के साि समझौता ज्ाािन   तरीकों में बिलाव का मागषि प्रशसत हुआ।      हुए,  पिसके  तहत  िोनों  िेशों  के  बीच   करें।
                                                ु
        िर हसताक्र होने के बाि 12 और चीते लान  े  िलषिभ  प्रिापत्ों  के  संरक्ण  और    िारसिररक  सममान,  समप्रभुता,  समानता
        के प्र्ास भी िारी हैं। िहली बार एक िगह   िाररनसिपतक तंत्र बहाल करने की रणनीपत   तिा िोनों िेशों के पहतों को ध्ान में रखन  े
        से  िूसरी  िगह  ला  कर  बसाए  गए  इन   के तहत बड़े माँसाहारी िानवरों को पिर     के पसदातों िर आधाररत व््िीव संरक्ण
                                                                                              ं
        चीतों की भारती् िलवा्ु और ि्ाषिवास   से बसा्ा िाना शापमल है। भारत में चीता     और सतत िैव पवपवधता को बढ़ावा िेने के
                कू
        के  अनुकल  ढलने,  पशकार  करने  और   एकमात्र ऐसा बड़ा माँसाहारी प्राणी है, िो    पलए िरसिर लाभकारी समब्ध पवकपसत
                                    ू
        िीपवत रहने की क्मता की सावधानीिवषिक   अिना अत्पधक पशकार होने और ि्ाषिवास       पकए िाएँगे।
        पनगरानी करने के बाि ही अगले 5 व्शों   खो िाने के कारण लुपत हुआ। िंगल के
        और उसके बाि ही इनके सिल प्रिनन     एक बड़े पशकारी िानवर को पिर से बसा
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