Page 24 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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ं पं डत द नदयाल उपा�याय
     प डत द नदयाल उपा�याय                                                                   'अ�योदय' का आदश
                                                                                                  ं
                                                                                                   ं
                                                                                             'अ�योदय' का आदश
     का जीवन और दश                              न                                         प�डत द�नदयाल उपा�याय न 'अ�योदय' दशन का ��ताव
     का जीवन और दशन
                                                                                                                   ं
                                                                                                                            �
                                                                                           ं
                                                                                                                े
                                                                                          रखा,  �जसका  अथ  ह  'अ�तम  ��   का  उदय'।  उ�ह�न े
                                                                                                           ै
                                                                                                         �
                                                                                                              ं
                                                                                                                               े
                                                                                                                 े
                                                                                                                   ु
                                                                                                                                 े
                                                                                          दश  को  अ�य�धक  गरीबी  स  छटकारा  �दलान  क  �लए
                                                                                           े
                                                                                            ं
                                                                                          'अ�योदय' पर ज़ोर �दया। यह  ी उपा�याय क राजनी�तक
                                                                                                                             े
                                                                                                                        ै
                                                                                                                     ं
                                                                                                               ू
                                                                                                  �
                                                                                          और आ�थक �वचार� का मल �स�ात ह। द�नदयाल जी न  े
                        25 �सत�बर, 1916 को मथरा �जल क नगला च�भान ग�व म �                  अपनी आ�थक नी�त म हमशा गरीब स गरीब ��  क     े
                                                     े
                                                    े
                                                             ं
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                                                                                                                े
                                                                                                            �
                                                                                                    �
                                                                                                                         े
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                        ज�म  प�डत  द�नदयाल  उपा�याय   ी  भगवती  �साद  और                  क�याण पर ज़ोर �दया। समाज का अ�तम ��  उनक
                                                                                                                                      े
                                                                                                                        ं
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                                                   ु
                         ीमती  राम�यारी  क  सबस  बड़  प�  थ।  कम  उ�  म  अपन े              आ�थक  �वचार�  क  क�  म  था।  उ�ह�न  कहा,  "आ�थक
                                                       े
                                                                  �
                                                                                                         े
                                                                                                                         े
                                                                                               �
                                                                                                                �
                                                                                                                                     �
                                                                                                            �
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                        माता-�पता  को  खो  दन  क  बाद  उनका  पालन-पोषण  उनक े             योजना  तथा आ�थक �ग�त का माप समाज के  ऊपर
                                          े
                                             े
                                                                                                           �
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                        नाना और �फर उनक मामा न �कया। जीवन म  क�ठनाइय�                     क�  सीढ़�  तक  प च   ए  ��   नह ,  ब��क  समाज  क े
                                        े
                                                                                                          �
                                                                                                         ँ
                        का सामना करन क बावजद द�नदयाल जी न अपन आस-                         सबस नीच क �तर पर �व मान ��  स होगा।" उनका
                                       े
                                     े
                                                                  े
                                                             े
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                                                                                                  े
                                                                                                    े
                                                                                                                          े
                                                     े
                        पास क� �वरोधी ताकत� और क�� स ताकत हा�सल कर एक                     �वचार था �क रा य को सभी �� य� क �लए �यनतम
                                                                                                                                  ू
                                                                                                                           े
                                                                     ै
                        अ��तीय �� �व का �वकास �कया और यह �दखाया कस     े                  जीवन �तर स�न��त करना चा�हए।
                                                                                                    ु
                                                                 े
                        एक  ��   अपन  �ढ़  सक�प  क  मा�यम  स  अपनी
                                               ं
                                                      े
                                       े
                        प�र���तय� स ऊपर उठ सकता ह। ै
                                    े
                                                                                         एका�म मानववाद' का आदश


                                                               ं
                                                 �
                                                          ृ
                                        गहन  दाश�नक,  उ�क�  सगठनकता    �                 ' 'एका�म मानववाद' का आदश
                                                              े
                                                         ं
                                        और  �� गत  अखडता  क  उ�तम
                                        मानक�  को  बनाए  रखन  वाल  नता,                   उ�ह�न एका�म मानववाद क दशन को ��तपा�दत �कया
                                                                    े
                                                             े
                                                                 े
                                                                                                                   �
                                                                                                               े
                                                                                               े
                                        प�डत   द�नदयाल    उपा�याय   क�                    जो  ��य�  अलगाव  म  एक�करण  क  धाग�  क�  खोज
                                         ं
                                                                                                            �
                                                                                                                        े
                                        न�तकता  उनक  �काशन�  'रा�  धम',                   करता ह। यह समाज और �क�त क साथ �� य� क      े
                                                                     �
                                                    े
                                         ै
                                                                                                ै
                                                                                                                       े
                                                                                                                  ृ
                                        'पचज�य' और '�वदश' म अ�� तरह                       एक�करण  का  �वचार  ह  और  इस  �कार  यह  सघष
                                                        े
                                         ं
                                                             �
                                                                                                                                      �
                                                                                                              ै
                                                                                                                                   ं
                                         े
                                        स  प�रल��त  होती  थी।  1953  स े                   और पवा ह स म�  दता ह। उनक अनसार, भारतीय
                                                                                                         ु
                                                                                                             े
                                                                                                                       े
                                                                                                                 ै
                                                                                                                           ु
                                                                                                ू
                                                                                                       े
                                                                                                  �
                                        1968 तक भारतीय जनसघ क नता क   े                   पर�रा  �� ,  समाज  और  �क�त  क  बीच  अलगाव
                                                                  े
                                                                े
                                                             ं
                                                                                                                    ृ
                                                                                                                         े
                                                   े
                                                         �
                                                               े
                                        �प म, उ�ह�न आदशवाद स ओत�ोत                         को खा�रज करती ह और अचतन और चतन दोन� क     े
                                             �
                                                                                                                            े
                                                                                                                   े
                                                                                                           ै
                                        सम�पत  कायकता   का  एक  दल                        साथ अपना स�बध �ा�पत करती ह। समाज का ��यक
                                            �
                                                       �
                                                   �
                                                                                                       ं
                                                                                                                                    े
                                                                                                                      ै
                                          खड़ा  �कया  और  सगठन  का  स�ण �                  ��   आपस  म  जड़ा   आ  ह।  यह  ��नया  कोई  पराया
                                                                     ू
                                                         ं
                                                                                                         ु
                                                                                                                  ै
                                                                                                       �
                                         ै
                                        वचा�रक  ढाचा  �दान  �कया।  एका�म                  �ान नह  ह, यह प�वी एक प�रवार ह जो हम अलगाव
                                                 ँ
                                                                                                                        ै
                                                                                                          ृ
                                                                                                    ै
                                                                                                                               �
                                        मानववाद का उनका दशन, जो भौ�तक                     और ��ा�मक स�बध� क �वचार� स म  करती ह। ै
                                                           �
                                                                                                             े
                                                                                               ं
                                                                                                         ं
                                                                                                                       ु
                                                                                                                     े
                                        और  आ�या��मक,  �� गत  और
                                                                                                                               े
                                                                                                                             �
                                                             े
                                                                  ै
                                                           ं
                                        साम�हकता  का  एक  स�षण  ह,  इस                    एका�म मानववाद न न�ल, रग, जा�त या धम क आधार
                                                                                                          े
                                           ू
                                                                                                                ं
                                        बात का �� �माण ह।                                 पर आत�रक �व�वधता को खा�रज कर �दया, इसन सभी
                                                                                                                                 े
                                                                                               ं
                                                         ै
                                                                                          मन�य�  को  एक  ज�वक  �ह�स  क  �प  म  पहचाना  और
                                                                                                         ै
                                                                                                                    े
                                                                                                                          �
                                                                                                                  े
                                                                                            ु
                                                                                                                 े
                                                                                          रा�ीय �वचार� क� एक आम चतना साझा क�। अ�य सभी
                                                                                                           े
                                                                                          धम� और स�दाय� क लोग अ�नवाय �प स एक ह और
                                                                                                                             े
                                                                                                                       �
                                                                                                                                  �
                                                                                          उनक� आत�रक एकता 'रा�ीयता' क� इस सामा�य चतना
                                                                                                                                   े
                                                                                                 ं
                                                                                          पर आधा�रत होनी चा�हए।
                                       20                                                                              21 21
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