Page 25 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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ं प डत द नदयाल उपा�याय
प डत द नदयाल उपा�याय 'अ�योदय' का आदश
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'अ�योदय' का आदश
का जीवन और दश न प�डत द�नदयाल उपा�याय न 'अ�योदय' दशन का ��ताव
का जीवन और दशन
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रखा, �जसका अथ ह 'अ�तम �� का उदय'। उ�ह�न े
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दश को अ�य�धक गरीबी से छटकारा �दलान क �लए
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'अ�योदय' पर ज़ोर �दया। यह ी उपा�याय क राजनी�तक
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और आ�थक �वचार� का मूल �स�ात ह। द�नदयाल जी न े
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25 �सत�बर, 1916 को मथरा �जल क नगला चं�भान ग�व म � अपनी आ�थक नी�त म� हमेशा गरीब से गरीब �� क े
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ज�मे प�डत द�नदयाल उपा�याय ी भगवती �साद और क�याण पर ज़ोर �दया। समाज का अ�तम �� उनक
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ीमती राम�यारी क सबस बड़ प� थ। कम उ� म अपन े आ�थक �वचार� क क� म� था। उ�ह�न कहा, "आ�थक
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माता-�पता को खो दन क बाद उनका पालन-पोषण उनक े योजना तथा आ�थक �ग�त का माप समाज के ऊपर
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नाना और �फर उनक मामा न �कया। जीवन म क�ठनाइय� क� सीढ़� तक प च ए �� नह , ब��क समाज क े
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का सामना करन क बावजद द�नदयाल जी न अपन आस- सबस नीचे क �तर पर �व मान �� से होगा।" उनका
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पास क� �वरोधी ताकत� और क�� स ताकत हा�सल कर एक �वचार था �क रा य को सभी �� य� क �लए �यनतम
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अ��तीय �� �व का �वकास �कया और यह �दखाया कस े जीवन �तर स�न��त करना चा�हए।
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एक �� अपन �ढ़ सक�प क मा�यम से अपनी
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प�र���तय� स ऊपर उठ सकता ह। ै
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एका�म मानववाद' का आदश
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गहन दाश�नक, उ�क� संगठनकता � ' 'एका�म मानववाद' का आदश
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और �� गत अखडता क उ�तम
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मानक� को बनाए रखन वाले नता, उ�ह�न एका�म मानववाद क दश�न को ��तपा�दत �कया
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प�डत द�नदयाल उपा�याय क� जो ��य� अलगाव म� एक�करण क धाग� क� खोज
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न�तकता उनक �काशन� 'रा� धम', करता ह। यह समाज और �क�त क साथ �� य� क े
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'पचज�य' और '�वदश' म अ�� तरह एक�करण का �वचार ह और इस �कार यह संघष
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स प�रल��त होती थी। 1953 से और पूवा ह से मु� दता ह। उनक अनसार, भारतीय
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1968 तक भारतीय जनसंघ क नता क े पर�रा �� , समाज और �क�त क बीच अलगाव
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�प म, उ�ह�न आदश�वाद से ओत�ोत को खा�रज करती ह और अचतन और चतन दोन� क े
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सम�पत कायकता का एक दल साथ अपना स�बध �ा�पत करती ह। समाज का ��यक
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खड़ा �कया और संगठन का स�ण� �� आपस म जुड़ा आ ह। यह ��नया कोई पराया
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वचा�रक ढाचा �दान �कया। एका�म �ान नह ह, यह प�वी एक प�रवार है जो हम� अलगाव
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मानववाद का उनका दश�न, जो भौ�तक और ��ा�मक स�बध� क �वचार� से मु करती ह। ै
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और आ�या��मक, �� गत और
साम�हकता का एक सं�ेषण ह, इस एका�म मानववाद न न�ल, रंग, जा�त या धम� क आधार
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बात का �� �माण ह। पर आत�रक �व�वधता को खा�रज कर �दया, इसन सभी
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मन�य� को एक ज�वक �ह�से क �प म� पहचाना और
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रा�ीय �वचार� क� एक आम चतना साझा क�। अ�य सभी
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धम� और स�दाय� क लोग अ�नवाय� �प से एक ह और
उनक� आत�रक एकता 'रा�ीयता' क� इस सामा�य चतना
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पर आधा�रत होनी चा�हए।
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