Page 38 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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स्वच्छ भारत                        माइक्रोपलानसटक,  पमट्ी  और  गहर  े  की, हालापक, िेश ्हीं िमा नहीं। लोगों न  े
                                                                                                                                 ँ
                                                                                       महासागर में ही नहीं, मानव रकत तक में   सवचछता का महत्व समझा और िेश को
                                                                                                    ु
                                           हर भारतीय का संकल्प                         िाए  गए  हैं।  समद्री  सतह  िर  पलानसटक   व्नकत्ों, नागररक-समाि, ्ुवा संगठनों
                                                                                                               ं
                                                                                       की  बढ़ती  उिनसिपत,  खाद्  शखला  िर   और सरकार के अनपगनत प्र्ास िेखन  े
                                                                                       बुरा असर डाल रही है, पिससे िल िीवों   को  पमले।  नपि्ों,  सागर-तटों,  िल
                                                                                       के  सवासर्  को  लेकर  अपधक  गमभीर   पनका्ों आपि की सिाई िैसी हर सतर
                                                          ै
            हमारे ्े तटी् क्त्र ि्ाषिवरण से   सत्वशुपदसौमनस्काग्र्ेन्द्र्ि्ातम         समस्ाएँ िैिा हुई हैं।              िर लोगों ने छोटी ही नहीं, बड़ी िहल भी
                          े
                                                                                                      े
                                                                                           प्रधानमत्री नर्द्र मोिी ने इस पिशा
                                                                                                 ं
          ु
        िड़ी  कई  चुनौपत्ों  का  सामना  कर         िशषिन्ोग्तवापन च।।                   में  कारवाई  पकए  िाने  की  आवश्कता   कीं, िो सवचछ और हररत नए भारत के
                                                                                             षि
                                                                                                                          पनमाषिण में हर भारती् को िोड़ रही हैं।
                                                                ु
        रहे  हैं।  कलाइमेट  चेंि,  मरीन  ईको-  शौच से अंत:करण की शपद, मन का            महसूस  की  और  एकिुट  राषट्  के  रूि   सवचछता  का  लोकाचार  आगे  बढ़ात  े
                                                                   ं
                                              ु
        पससटमस के पलए बड़ा खतरा बना हुआ     प्रिलल भाव, पचत्त की एकाग्रता, इपद्र्ों िर   में सवचछता को प्रािपमकता िेते हुए एक   हुए  भारत  सरकार  ने  प्रि्ण  के  प्रभावी
                                                                                                                                              ू
        है तो िूसरी ओर हमारे बीचेज़ िर फ़ैली   िीत और आतमिशषिन की ्ोग्ता प्रापत         साफ़-सिरे  भारत  का  पनमाषिण  करने  के   उिशमन,  राषट्ी्  निी  गंगा  के  संरक्ण
                                                                                             ु
        गंिगी िरेशान करने वाली है। हमारी   होती है।                                    उद्दश्  से  2  अकतबर,  2014  को  सवचछ   और  का्ाकलि  का  िोहरा  उद्दश्  िूरा
                                                                                                      ू
                                                                                          े
                                                                                                                                                  े
                                              वपिक काल में तन, मन और आतमा
                                                ै
        ्ह  पिममेिारी  बनती  है  पक  हम  इन   की सवचछता सववोिरर िी। प्राचीन काल में    भारत  अपभ्ान  आरमभ  पक्ा।  उ्होंन  े  करने के पलए नमापम गंगे का्षिक्रम सपहत
        चुनौपत्ों के पलए गमभीर और पनरंतर   ऋप््ों का मानना िा पक सवचछ िररवेश           हर एक िगह को साफ़-सिरा बनाने के     पवपभन् िहल की हैं।  नगरिापलका ठोस
                                                                                                           ु
        प्र्ास करें।                                                                   प्र्ासों  में  तज़ी  लाने  और  सवचछता  िर   अिपशषट  प्रबंधन  ्ोिनाएँ  और  क्ेत्री्
                                                                                                 े
                                                                   ू
                                           और  सवसि  शरीर  के  पबना  ििा  और
                                                                                                                                       ू
                    -प्रधानमंत्री नरे्द्र मोिी   ध्ान बेहि कपठन है। सवचछता के िैरोकार   ध्ान केंपद्रत करने में हर एक नागररक   सतर  िर  वा्ु  प्रि्ण  की  समस्ाओं  के
             (‘मन की बात’ के समबोधन में )  महातमा  गाँधी  ने  सवचछता  को  िन           का साि माँगा। प्रचार-वाक् ‘एक क़िम   समाधान  के  पलए  राषट्ी्  सवचछ  वा्  ु
                                           आिाेलन बनाकर उसे आज़ािी के सवप्न            सवचछता की ओर’ के साि, भारत का अब   पमशन का्षिक्रम; ‘वेसट टू वेलि’ पमशन,
                                             ं
                                                                                                                                   े
                                           से िोड़ा। आि भी नए भारत (््ू इपड्ा)          तक  का  सबसे  बड़ा  सवचछता  अपभ्ान   पिसका उद्दश् कचरे की िहचान करना,
                                                                     ं
                                           के उि् के साि इन मूल्ों को िीढ़ी-िर-         आरमभ  हुआ,  पिसके  िररणामसवरूि     उसे  पवकपसत  करना  और  प्रौद्ोपगकी
                                           िीढ़ी  आगे  बढ़ाने  के  पलए  सवचछता  को       लोगों के मूल व्वहार में बिलाव आ्ा है।   की मिि से ििािशों को िुनचषिपक्रत करके
                                           एक  महत्विूणषि  उत्तरिाप्तव  के  रूि  में       अपभ्ान  ने  बड़ी  सिलता  हापसल   उनमें  से  ज़रूरी  संसाधन  पनकाल  कर
                                                                                                                          ऊिाषि त्ार करना तिा पलानसटक कचरा
                                                                                                                                ै
                                           िेखा िा रहा है।
                                              प्राचीन काल से ही माना ग्ा िा पक
                                           सवसि ि्ाषिवरण, सवचछ िल और ताज़ी
             “िब  से  प्रधानमंत्री  नर्द्र   हवा के पलए, सवसि एवं सवचछ पवपध्ों का
                                  े
         मोिी  ने  सवचछ  भारत  अपभ्ान      अपनवा्षि रूि से िालन पक्ा िाना ज़रूरी
         की  शुरुआत  की  है,  तब  से  हमार  े  है।
         सावषििपनक  सिानों  की  सवचछता        हालापक  सवचछता  की  पज़ममेिारी
                                                  ँ
         बनाए  रखने  के  पलए  नागररकों  में   अत््त महत्विणषि है, लपकन पिछले कई
                                                       ू
                                                             े
         पज़ममेिारी की एक नई भावना ििा     िशकों  से  मानव  की  उिेक्ा  के  कारण
                                   ै
         हुई है।  ग्रामीण क्ेत्रों में भी मपहलाओं   अिपशषट संच् और ि्ाषिवरण प्रिू्ण की
         को पिस तरह का सामापिक प्रभाव      चुनौती बहुत बड़ी हो चुकी है। नतीितन,
         पि्ा ग्ा है, वह अभूतिूवषि है।”    िल, िल और वा्ु िर इसका िषप्रभाव,
                                                                    ु
                                  ू
                            े
                          -तिसवी स्ाषि     वनशवक  िाररनसिपतकी  तंत्र  को  पनरंतर
                                            ै
         सांसि और अध्क्, भाििा ्ुवा मोचाषि  प्रभापवत कर रहा है।  उिाहरण के पलए
                                       34                                                                              35
                                                                                                                       35
                                       34
   33   34   35   36   37   38   39   40   41   42   43