Page 32 - Mann Ki Baat December 2022
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काशरी-तनमल संगमम् : उत्तर और दनषिण
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का शानदार सांस्ततक संगम
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का सिना था और यह हमारे प्धानमत्री
की भी िररकलिना है। भारत सरकार न े
ह़जारों वरवों से चली आ रही भारत की
सांसकृछतक एकता का सममान करते हुए
इसका आयोजन छकया। महीने भर चलन े
वाले इस अन्ठ काय्षक्म का उद्े्य ्ेश
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में ज्ाानाज्षन के सबसे महत्विण्ष और
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प्ाचीन ्ो सथलों–तछमलनाडु और काशी
के बीच वरवों िुराने समबनधों का उतसव
मनाना, उनकी िुनिु्षशषट करना और छफर
से खोजना है।
डॉ. एल. मुरुगन तछमलनाडु और काशी के बीच वरवों
राजय मंत्री, सूचना एवं प्सारण मंत्रालय से अन्ठ समबनध रहे हैं। ्छनया के सबस े
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िुराने जीवनत शहरों में से एक, काशी
भारत के सांसकृछतक लोकाचार का केनद्र
हमारे ्ेश की छवछवधता में एकता रहा है। तछमलनाडु और तछमल संसकृछत
को प््छश्षत करने और सम्ायों, धमवों भारत की प्ाचीनता और गौरव के केनद्र
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तथा भाराओं के छवछवध समूहों के बीच हैं। काशी और तछमलनाडु हमारी संसकृछत
एकजुटता की भावना को प्जवछलत और सभयता के कालजयी केनद्र रहे हैं।
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करने के सामछहक ्शषटकोण के साथ, काशी में बाबा छव्वनाथ हैं तो तछमलनाडु
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प्धानमत्री नरनद्र मो्ी ने 31 अकटूबर, में भगवान राम्वरम की कृिा है। काशी
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2015 को ‘एक भारत श्ष्ठ भारत’ और तछमलनाडु ्ोनों ही ‘छशवमय’
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काय्षक्म की घोरणा की थी। चछक (भगवान छशव की भशकत में सराबोर) हैं।
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छवछभन्न क्ेत्रों के लोगों के बीच सतत् और काशी और तछमलनाडु के बीच लमब े
संरछचत सांसकृछतक समबनधों का छवचार समय से ऐछतहाछसक और सभयतागत
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प्धानमत्री द्ारा प्सतत छकया गया था, यह समबनध चले आ रहे हैं। इन ्ो महान
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भारत के लोगों के छलए िरम िूजनीय था। सथानों के बीच तीथ्षयात्रा की एक िुरानी
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भारत एक अन्ठा राषट्र है, छजसका िरमिरा है। हमारे समूचे इछतहास में इस
ताना-बाना छवछवध भारायी, सांसकृछतक मजबूत बनधन को आम लोगों के साथ-
और धाछम्षक धागों से बुना गया है। इस े साथ राजाओं ने भी म़जबूत छकया है।
सांसकृछतक छवकास के समद् इछतहास इससे जुड़ी प्छसद् कहाछनयों में से एक
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द्ारा समग्र राषट्रीय िहचान के रूि में म्ुरै के राजा िराक्म िंड्ा की है। ऐसा
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सँजोया गया है, जो सवतंत्रता सग्राम के कहा जाता है छक वह भगवान छशव का
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साथ जुड़ा है और साव्षभौछमक रूि स े मछ्र बनाना चाहते थे और इसके छलए
िोछरत मूलयों के इ््ष-छग््ष बनाया गया है। छशवछलंग लाने के छलए वह काशी गए थे।
इस प्कार ‘एक भारत श्ेष्ठ भारत’ लौटते समय वह छवश्ाम करने के छलए
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छवछवधता में एकता की भावना की िहचान छकसी सथान िर रुके, लछकन अिनी यात्रा
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है। काशी-तछमल संगमम् इसी भावना छफर से शुरू करने के छलए जब वह उ्ठ, तो
का प्छतछबमब है। यह महाकछव भरछतयार छशवछलंग को ले जाने वाली गाय ने चलन े
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