Page 27 - Mann Ki Baat December 2022
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और छकसानों की आतमछनभ्षरता के छलए प््ेश, महाराषट्र, गोवा, और हररयाणा
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प्ाकृछतक कृछर ही श्ष्ठ छवकलि है। एक जैसे राजयों के प्वास छकए और छकसानों
े
्ेसी गाय के गोबर-गौमूत्र से हम 30 को प्ाकृछतक कृछर के छलए प्ररत छकया।
एकड़ भूछम में प्ाकृछतक कृछर कर सकते आनध्र प््ेश में भी बड़ी संखया में छकसान
हैं। ्ेसी गाय के गोबर-गौमूत्र, बेसन, प्ाकृछतक कृछर कर रहे हैं।
गुड़ और छमट्टी के छमश्ण से बनाया बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत,
हुआ जीवामृत और घनजीवामृत भूछम आचिा्न, वापसा एवं बहुफसल के
में सूक्म जीवाणु और कचुए जैसे जीवों छसद्ानतों का अनुिालन करते हुए अगर
रें
की वृछद् करते हैं, जो भूछम की उिजाऊ िूरी छवछध से प्ाकृछतक कृछर की जाए तो
क्मता बढ़ाते हैं। उतिा्न कम नहीं होगा। सवासरयप््
छहमाचल प््ेश में जब मैं गवन्षर कृछर उतिा्ों से लोगों के सवासरय की
था, तब छकसान बागबान के खेत में रक्ा होगी। जल- जमीन और िया्षवरण
जाता था। मैंने उनको प्ररत छकया और की रक्ा होगी। ्ेसी गाय का िालन-
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50 ह़जार छकसानों को प्ाकृछतक कृछर समवध्षन होगा, छकसानों की लागत कम
से जोड़ा। आज वहाँ डेढ़ लाख छकसान होगी और उतिा्न बढ़ेगा। ्ाम भी सही
प्ाकृछतक खेती कर रहे हैं। गुजरात में छमलेगा, छजससे छकसान समृद् होंगे।
हमने प्ाकृछतक कृछर के साथ लगभग काम एक और लाभ अनेक। इस ‘अमृत
तीन लाख छकसानों को जोड़ छ्या है और काल’ में हमें संकलि लेना है– प्ाकृछतक
गुजरात के डांग छजले को प्ाकृछतक कृछर को अिनाकर छवकछसत और
कृछर समिन्न छजला घोछरत छकया गया आतमछनभ्षर भारत के छनमा्षण में अिना
है। छििले छ्नों मैंने उत्तर प््ेश, मधय यशतकिंछचत योग्ान ्ेंगे।
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