Page 54 - Mann Ki Baat December 2022
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स्वच्छ रारत की सच्री रािना का उदाहरण


                बना सूचना और प्रसारण मंत्ालय



                                          मट्रो  जैसे  सवचि  साव्षजछनक  यातायात
                                           ै
                                          तथा  और  भी  कई  सथानों  िर  ्ेखन  े
                                          को  छमल  रहे  हैं।  अनेक  काय्षक्मों  में
                                          प्धानमत्री मो्ी इन प्यासों की तारी़फ
                                               ं
                                          भी कर चुके हैं।
                                             छ्समबर, 2022 में अिने ‘मन की
                                          बात’  काय्षक्म  के  माछसक  संसकरण
                                                  ं
                                          में  प्धानमत्री  ने  सूचना  एवं  प्सारण
                                           ं
                                          मत्रालय के अनतग्षत छवछभन्न इकाइयों
                  गौरव छद्वे्ी
                 सीईओ, प्सार भारती        के  छमले-जुले  प्यासों  की  तारी़फ  की
                                          थी।  जैसे  ‘कचरा  हटाने,  गैरजरूरी
                                          वसतओं  को  नीलाम  करने  से  ़्फतरों
                                             ु
                                          में  का़फी  नया  सथान  बना  है।  िहले,
            आधछनक  भारतीय  इछतहास  के     सथानाभाव के ही कारण, काया्षलयों के
               ु
        सबसे  समरणीय  छ्वसों  में  से  एक,  15   छलए ्ूर-्राज सथान छकराए िर लेना
                                े
        अगसत, 2014 को प्धानमत्री नरनद्र मो्ी   िड़ता  था।  वहीं  आजकल  सवचिता  के
                           ं
        ने लाल छकले की प्ाचीर से ‘सवचि भारत   कारण,  इतना  सथान  उिलबध  हुआ  ह  ै
        अछभयान’ का आरमभ कर एक अभूतिूव्ष   छक सभी काया्षलयों को एक ही सथान
        शुरुआत  की  थी।  इतने  महत्विण्ष  मंच   में जोड़ा जा रहा है। अतीत में सूचना एव  ं
                                ू
                                                 ं
        से िहले कभी इस तरह के ना़जुक मुद्  े  प्सारण मत्रालय ने मुमबई, अहम्ाबा्,
        को नहीं उ्ठाया गया था। कई लोगों न  े  कोलकाता, छशलांग एवं कई अनय शहरों
        इस  िहल  को  मामूली  बताया,  िरनत  ु  के अिने ़्फतरों में कई नए प्यास छकए
        सवातंत्रोत्तर  भारत  में  यह  आमजन   और इस कारण आज उसके िास नवीन
                                                                    ं
                                             े
        द्ारा चलाए जाने वाले सबसे महत्विूण्ष   इसतमाल  के  छलए  ्ो  या  तीन  मछजलें
        अछभयानों में से एक साछबत हुआ है।  उिलबध हैं। इसी सवचिता के कारण, हम
            सव्षसाधारण  िुरुर  एवं  शसत्रयाँ,   अिने  स्ोतों  का  अछधकतम  इसतमाल
                                                                    े
        सम्ाय,  छनजी  संग्ठन  एवं  सरकारी   करने का श्ेष्ठतम अनुभव प्ापत कर रह  े
           ु
        छवभाग  आछ्  सभी  इस  अछभयान  में   हैं। समाज में भी गाँव-गाँव, शहर-शहर
        बराबर के भागी्ार रहे हैं। इन प्यासों के   में भी, उसी प्कार से ्फतरों में भी, य  े
        नतीजे आज हमें वयावहाररक िररवत्षनों,   अछभयान, ्ेश के छलए भी हर प्कार स  े
        आतम-छनरीक्ण,  आ्श्ष  शहरों,  छ्लली   उियोगी छसद् हो रहा है।”


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