Page 59 - Mann Ki Baat December 2022
P. 59

के  अवसर  प््ान  करने  के  छलए  ्ृढ़   इसे अिना रहे हैं। अनतरराषट्रीय योग
          संकशलित है।                       छ्वस, छमशन LiFE और अनतरराषट्रीय
                           ु
              योग  और  आयववे्  से  लेकर     छमल्टस  वर्ष  ऐसे  च्  उ्ाहरण  हैं,  जो
                                                           ं
                                               े
          मधुमकखी िालन, जल संरक्ण, हमारी    साछबत करते हैं छक हमारी छवरासत को
          प्ाचीन  ज्ाान  प्णाछलयाँ,  अछहंसा  तथा   िूरी ्छनया में सराहा जा रहा है।
                                                ु
          बहुलवा्,  छवछवधता,  सछहषणता  और      छकसी  फैली  हुई  शाखाओं  वाल  े
                                ु
          लोकतंत्र  की  हमारी  अवधारणा  के   फलते-फूलते िेड़ की जड़ें छजस प्कार
                 ु
          कारण  ्छनया  भारत  के  िारमिररक   मजबूती से जमी होनी चाछहए, उसी तरह
          ज्ाान में एक ससटेनेबल और नयायिण्ष   भारत  के  लोगों  में  अिनी  सांसकृछतक
                                      ू
          भछवषय  के  संकेतों  की  तलाश  कर   और िारमिररक जड़ों की गहन िहचान
          रही  है।  हमारी  छवरासत  और  संसकृछत   और  सवीकृछत  अव्य  होनी  चाछहए।
                                                  ु
          के  प्छत  बढ़ते  छव्वास  और  गौरव  न  े  भारत  ्छनया  के  सबसे  छवछवध  राषट्रों
          भारत को छव्व मानछचत्र िर िहले स  े  में  से  एक  है,  छजसे  एक  छवछशषट  और
          कहीं अछधक महान बना छ्या है। आज    अन्ठी छवरासत का आशीवा्ष् प्ापत है।
                                               ू
               ु
          जब  ्छनया  समिूण्ष  सवासरय  की  बात   कला, साछहतय और संसकृछत समाज की
          करती  है  तो  वह  भारत  के  योग  और   सामछहक िँजी है और इसे आगे बढ़ाना
                                                    ू
                                               ू
                                    ु
          आयववे् की ओर ्ेखती है। जब ्छनया   हम सबका सामछहक ्ाछयतव है। छकसी
                                                        ू
              ु
          िया्षवरण से समबशनधत समसयाओं का    राषट्र  की  प्गछत  उसके  इछतहास  और
                                                             ै
          सामना कर रही है, तब सवचिता और     छवरासत के ज्ाान से ि्ा हुए गौरव में
               े
          ससटेनछबछलटी के हमारे संसकार प्ेरणा   छनछहत छव्वास से आती है। अतीत का
                                े
          का स्ोत बन गए हैं। ्ेश से छमल्टस   अवलोकन  वत्षमान  और  भछवषय  की
                                    े
          के  छनया्षत  में  वछद्  हुई  है  और  ्छनया   तैयारी  की  प्ेरणा  का  मजबूत  आधार
                                    ु
                      ृ
          भर में लोग सवसथ जीवन शैली के छलए   बन सकता है।
                                        55
                                        55
   54   55   56   57   58   59   60   61   62   63   64