Page 32 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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सांकेपतक भा्ा को बढ़ावा
ु
श्रवण-बातित भारतीयों क लिए खि नए आयाम
े
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पि्ा है, िररिृश् बिल रहा
है। ्ह प्रगपतशील किम
उठाने के पलए मैं प्रधानमंत्री
‘मन की बात’ के 93वें एपिसोड में पक इन िहलों से उनके सीखने के अनुभव
ं
प्रधानमत्री नर्द्र मोिी ने भारत के श्रवण- में कैसी और क्ा मिि पमली? का बहुत आभारी हूँ।”
े
छात्रा कपवता ने उन
बापधत नागररकों और संचार साधनों की एक छात्र लकी शाह ने बता्ा चुनौपत्ों के बारे में बात
ै
कमी के कारण िपनक िीवन में आन े पक कैसे ISLRTC की सिािना ने श्रवण- की, पिनका सामना िहल े
े
वाली चुनौपत्ों के बारे में उललख पक्ा। बापधत छात्रों के पलए शैपक्क सामग्री को बपधर समिा् ने पक्ा िा
ु
अवसरों का एक समान आधार प्रिान आसानी से सुलभ बना पि्ा है। ISLRTC और कैसे ISLRTC इसे िूर
करने के पलए, भारत सरकार ने 2015 में के एक अ्् छात्र पशवम गो्ल ने कहा, करने में मिि कर रहा है।
भारती् सांकेपतक भा्ा प्रपशक्ण और “िहले अपधकांश आबािी उस सांकेपतक “िहले, श्रवण-बापधत छात्रों
अनुसंधान केंद्र (ISLRTC) की सिािना भा्ा को नहीं समझती िी, पिसे बपधर को उपचत पशक्ा नहीं पमल
की। आि, ISLRTC ISL को पवकपसत इसतेमाल करते िे। उ्हें इस बात की िाती िी, क्ोंपक अपधकांश
करने और बपधर छात्रों को अध््न िानकारी नहीं िी पक हमारी अिनी अलग सककूल और कॉलि मौपखक
े
सामग्री प्रिान करने के पलए काम कर संसकृपत है। इस नसिपत ने हमारे पलए बहुत पशक्ण िर ध्ान केंपद्रत
रहा है। सारी बाधाएँ खड़ी कर िीं, लेपकन िब से करते िे। अ्् संसिान
िूरिशषिन की टीम ने ISLRTC के छात्रों प्रधानमंत्री ने राषट्ी् पशक्ा नीपत, 2020 के
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से बात की, ्ह िानने का प्र्ास पक्ा एक महत्विणषि पहससे के रूि में भारती् और संगठन िैसे िपलस
सटेशन, असिताल, बैंक, कोट्ट भी हमार े है। अब गैर-बपधर लोग भी अिने ISL
ु
पलए िगषिम िे, क्ोंपक संचार का कोई कौशल का पवकास कर रहे हैं। नतीिा
उपचत तरीका नहीं िा, लेपकन ISLRTC ्ह है पक संचार हमारे पलए आसान होता
की सिािना के बाि बपधरों के अनुककूल िा रहा है। ISLRTC ने पिछले 7 सालों में
भा्ा के प्रपत िागरूकता बढ़ रही हमें बहुत कुछ पि्ा है। आि, ISLRTC
पडकशनरी, ISLRTC और ISL में पवपभन्
कहानी िुसतकें और पवपभन् प्रपशक्ण
सत्र समिा् को एक िहचान बनाने में
ु
मिि कर रहे हैं।”
भारत को भपवष् के पलए तै्ार
े
करने के पलए राषट् को प्रत्क नागररक
के ्ोगिान की आवश्कता है। आि
भारती् सांकेपतक भा्ा के पवकास ने
िेश के श्रवण-बापधत लोगों के पलए नए
द्ार खोल पिए हैं। आि िब भारत अमृत
काल में प्रवेश कर रहा है, तो संचार की
इस सुबह के साि भारत के श्रवण-बापधत
नागररक कंधे-से-कंधा पमलाकर चल
सकेंगे।
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