Page 27 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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िरसिर सममान तिा संवाि िर आधाररत
भारत की राष्ट्नीतत का ववचार -
आतमपवशवासी पविेश नीपत एकातम मानव
एकात्म मानव दर्शन िशषिन का व्ावहाररक रूि है। िमम- ू
कशमीर, लद्दाख़ से अरुणाचल तक राषट्ी्
एकातमता की नीपत, समिषि, सक्म सेना
ै
तिा अ्ोध्ा, काशी, उज्न के िीणवोदार
कल्ाण का रासता बनेगा। एकातमता आपि के द्ारा संसकृपत के साि समपद के
ृ
का िशषिन कोई म्ाषिपित, संघ्षिशील राषट्पनमाषिण प्रपतमान को ही मतषिरूि पि्ा
ू
रािनीपतक अिवा आपिषिक पवचारधारा िा रहा है। सवषिसमावेशी िरमवैभव प्रापत
नहीं है, अपितु ्ह सबके पवकास का भारत माता िगदगरु के िि िर आसीन
ु
सवषिसमावेशक संकलि है। हो पवशव में ‘सवगे भव्त सपखनः’ को
ु
ु
िपडतिी की ि्ंती 25 पसतमबर िुनसिाषिपित करें, ्ही लक्् है।
ं
िर उ्हें समरण मात्र करने से एकातम
मानव िशषिन की बात प्रधानमत्रीिी न े
ं
नहीं की, ्ह तो उनकी हर पक्र्ा में
मुकुल कपनटकर प्रिपशषित होता है। समाि और राषट्
लेखक के अपतम व्नकत के पवकास हेतु चल
ं
रही ्ोिनाओं के साि ही सतत संवाि
और सहभाग से वासतपवक लोकतंत्र
का पक्र्ा्व्न िपडतिी के सवप्न को
ं
साकार कर रहा है। िन-धन िैसे पवत्ती्
समावेश अपभ्ान के साि ही पडपिटल
गत ‘मन की बात’ में प्रधानमत्रीिी भुगतान का सवषिसुलभ उिा् सवावलमबी
ं
ने एकातम मानव िशषिन के प्रणेता पवकास को साकार कर रहा है। इसी
िं. िीनि्ाल उिाध्ा्िी को श्रदासुमन के िररणामसवरूि महामारी के कपठन
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अपिषित करते हुए अपतम व्नकत के सम् में भी शासन तंत्र को संविनशील
पवकास प्रपतमान िर चचाषि की। िपडतिी कर पवशव में अपद्ती् सवासर् सेवा,
ं
ने रािनीपत से िरे िाकर राषट्नीपत खाद् सामग्री पवतरण तिा आपिषिक
का पवचार एकातम मानव िशषिन के रूि आतमपनभषिरता को संचापलत करना भी
में प्रसतत पक्ा िा। भारत के सवतव इस अंत्ोि् िशषिन का कृपतरूि ही िा।
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को समझकर उसके अनुसार सबके सव्ं को सुरपक्त कर पवशव के आतषि
कल्ाण हेतु सवाांगीण राषट्ी् पवकास का िेशों को आिूपतषि करने का िराक्रम िपडत
ं
्ह मागषि है। पबना प्रपतसिधाषि के पवकास िीनि्ाल उिाध्ा् को सच्ी श्रदांिपल
का पवचार राषट्ों के मध् भी वसुधैव ही है।
कुटुमबकम की भावना को प्रोतसापहत भारत-केंपद्रत राषट्ी् पशक्ा नीपत,
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करता है। इसके कारण भारत के सववोच् सवावलमबन के साि पवशव सहभाग का
पवकपसत होने से िूरी मानवता के समग्र सवागत करती आतमपनभषिर अिषिनीपत,
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