Page 58 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
P. 58

‘सबका प्र्ास’ के मूल मंत्र से प्रेररत   पलए एक उि्ुकत सिान बनाएँ और ऐसा
                                                सेवा परमो िम्शमः                       एक उिाहरण टीबी-मुकत भारत अपभ्ान    तभी संभव है िब प्रत्ेक व्नकत समाि

                                                                                       की ‘पन-क्् पमत्र’ िहल प्रारमभ होने िर   के प्रपत अिनी पज़ममेिारी को समझे और
                                                        े
                    जि भागीदारी से बदल रहा दश का भववष्य                                िेखने  को  पमल  रहा  है  पिसके  अंतगषित   सवचछा से उसकी उन्पत के पलए का्षिरत
                                                                                                                            े
                                                                                       कई लोगों ने टीबी रोपग्ों को ‘गोि’ लेने   रहे। मनुष् एक सामापिक प्राणी है और
                                                                                       का बीड़ा उठा्ा है। पन-क्् पमत्र कोई भी   िरपहत  से  ही  पकसी  भी  समाि  की  नींव
                                                                                       व्नकत ्ा गैर सरकारी संगठन, कॉिवोरेट,   िड़ती है।
            िूसरों  का  पहत  करने  के  समान,   “िरपहत  सररस  धरम  नहीं  भाई।”          पनवाषिपचत प्रपतपनपध हो सकता है और टीबी   िरंतु सामापिक उत्तरिाप्तव का सार
        िूसरों की सेवा करने, उिकार करने के   अिाषित िूसरों की भलाई के समान अ््         से िूझ रहे मरीज़ों को सरकार द्ारा की   पकताबों में ्ा पकसी के द्ारा पसखा्ा नहीं
                                                 े
        समान कोई और धमषि नहीं है। पिछले    कोई  श्रषठ  धमषि  नहीं  है।  कपव  तुलसीिास
                                                                    ं
        पिनों िेश में समाि सेवा की इसी भावना   कृत श्रीरामचररत मानस की इस िनकत का      िा रही मिि के अलावा िो्ण, नैिापनक   िा सकता। इसे सीखने और आतमसात
        की एक और झलक िेखने को पमली।        उललख  प्रधानमत्री  नर्द्र  मोिी  ने  अिन  े  और व्ावसाप्क सहा्ता िे सकता है।   करने के पलए सतत प्र्ास करना िड़ता ह  ै
                                                       ं
                                                            े
                                               े
        लोग  आगे  आकर  पकसी-ना-पकसी        हापल्ा ‘मन की बात’ समबोधन में पक्ा।         इस िूरी प्रपक्र्ा को आसान बनाने के पलए   और भारत िैसे ्ुवा िेश में ्ह पज़ममेिारी
        टीबी के िीपड़त मरीि को गोि ले रहे   वे समाि सेवा और िरोिकार की भावना            पन-क्् 2.0 िोट्टल को लॉंच पक्ा ग्ा है।   ्ुवाओं के कंधों िर है। पकशोरावसिा स  े
                                                                                                            ं
        हैं। िािरा-नगर हवेली और िमन-िीव    के महत्व और उिाहरणों के बारे में चचाषि      ्हाँ टीबी मरीज़ सव्ं को ििीकृत करवा   ही समाि सेवा की भावना को िगाने हेत  ु
        से भी मुझे एक ऐसा उिाहरण िानने     कर रहे िे।                                  सकते हैं और पन-क्् पमत्र इस िोट्टल से   भारत सरकार ्ुवा का्षिक्रम और खेल
        को पमला है, िहाँ मेपडकल कॉलेि के                                               िुड़कर  टीबी  रोपग्ों  को  एक  सामा््   मत्राल्  के  ज़ररए  राषट्ी्  सेवा  ्ोिना
                                                                                                                            ं
        सटूडेंटस ने 50 गाँवों को गोि पल्ा है।   भारती्  संसकृपत  में  सिैव  समाि       िीवन  व्तीत  करने  में  सहा्ता  कर   (एनएसएस) चलाती है। ‘नॉट मी बट ्ू’
                                                                        े
        िरोिकार की ्ह भावना गाँवों में रहने   सेवा को सववोिरर माना ग्ा है, चाहे वह वि   सकते हैं।                         के अिने आिशषि के साि, एनएसएस का
        वालों के िीवन में नई खुपश्ाँ लेकर   व्ास  का  ‘िरोिकार:  िुण्ा्’  हो,  हमार  े     लोकतंत्र  के  नागररक  होने  के  नात  े  एकमात्र उद्दश् ्ुवा छात्रों को सामिाप्क
                                                                                                                                                   ु
                                                                                                                                   े
                                                                  ु
                                                ु
                                                                     ु
        आई है।                             ऋप्-मपन्ों  की  ‘सवगे  भव्त  सपखनः          ्ह हम सब का िाप्तव है पक हम अिन  े  सेवा प्रिान करने का अनुभव कराना है।
                                           सवगे  स्त  पनराम्ाः’  की  कामना,  ्ा
                                                  ु
                    -प्रधानमंत्री नरे्द्र मोिी                                         समिा् और अिने समाि को रहने के          आि  के  ्ुवा  इस  समाि  के  प्रपत
                                                                                          ु
                                            ै
             (‘मन की बात’ के समबोधन में )  मपिलीशरण गुपत का ‘वही मनुष् है पक                                              अिनी  पज़ममेिारी  को  भली-भापत  समझ
                                                                                                                                                 ँ
                                           िो मनुष् के पलए मरे’ का लेखन – सभी
                                           ने िरपहत, ्ानी पक िूसरों के पहत को ही
                                           धमषि माना।
                                              प्रधानमत्री  प्रा्ः  सव्ं  को  िेश  का
                                                    ं
                                           ‘प्रधान  सेवक’  कहते  हैं।  आि  उनके
             “कोई  भी  राषट्ी्  सवासर्     मागषििशषिन  से  सरकार  द्ारा  कई  ऐस  े
                                                                    ु
         पमशन  लोगों  की  सपक्र्  भागीिारी   अपभ्ान चलाए िा रहे हैं, पिनकी बपन्ाि
         और एकिुटता के पबना सिल नहीं       िन भागीिारी है। सवचछ भारत अपभ्ान,
         हो सकता है। 2025 का लक्् बहुत     पमशन अमृत सरोवर, वोकल फ़ॉर लोकल
         िूर नहीं है, इसपलए टीबी की समानपत   - इन सभी िहलों की नींव है िन भागीिारी
                    े
         के पलए हर क्त्र के लोगों को साि   और सव्ं से ऊिर उठकर अिने समिा्,
                                                                      ु
         आकर  इसे  िन-आिोलन  बनाना         अिने समाि के पलए सेवा भाव। कोपवड-19
                         ं
         होगा।”                            महामारी के िौरान भी हमने िेखा पक पकस
                         -डॉ. पवनोि िाॅल   प्रकार मनशकल से मनशकल घपड़्ों में लोग
                                                          ु
                                                 ु
                     सिस्, नीपत आ्ोग       एक-िूसरे की मिि करने सामने आए।
                                                                                                                       55
                                       54                                                                              55
                                       54
   53   54   55   56   57   58   59   60   61   62   63