Page 56 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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उिाहरण है; रािनेताओं से पवद्ापिषि्ों भी इस अपभ्ान में शापमल हुए और इसे
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दर और फरन क लिए खादी तक, ित्रकारों से गृपहपण्ों तक इसे सही मा्ने में ‘िनआंिोलन’ का रूि
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िहनते हैं। ्ह ऐसा ब्रांड बन चुका है, िो पि्ा है।
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प्रत्क व्नकत से समब्ध रखता है। इस िेश भर के पडिाइनरों के सामने
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िनषटकोण को आगे बढ़ाते हुए मैंने ‘पवचार खािी को वैनशवक सतर िर ले िाने की
वसत्र’ नामक एक ऐसा कुताषि तै्ार पक्ा, चुनौती सामने आई है। इसके पलए कई
वसत्र होता है। खािी का आधुपनक सवरूि पिसे मपहलाएँ और िुरु्; िोनों िहन किम उठाए गए हैं। केवीआईसी में हमने
सचमुच पवलापसता का ि्ाषि् है। शू्् सकते हैं। िेश के शी्षिसि पडज़ाइनरों के सामने खािी
काबषिन उतसिषिन के साि, खािी सवचछ गत कई व्शों से खािी और ग्राम को उनकी पवशे्ज्ाता अनुसार इसतेमाल
और संधारणी् वसत्र है, िो लमबा चलता उद्ोग कमीशन (केवीआईसी) की पकए िाने का प्रसताव रखा। वैनशवक मंचों
है और उसके साि काम करना सरल है। सलाहकार के तौर िर मैंने खािी से िुड़े िर पवपभन् पडिाइनरों ने खािी को प्रसतुत
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मैंने िीवाली, अ्् त्ोहारों और कई पमिकों और गलतिहपम्ों को िूर पक्ा है। 1960 के िशक में मोहनिीत
शािी-ब्ाहों के पलए खािी के पवपवध करने के प्र्ास पक्ा है। हमारे प्रधानमंत्री ने िेररस में खािी की िहचान कराई िी।
प्रारूि त्ार पकए। िहले-िहल इस े के ‘वोकल ़िॉर लोकल’ नज़ररए के इसी तरह ऑट कोटूर में वैशाली एस
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रािनीपतज्ाों ्ा वररषठ नागररकों के अनुसार, खािी ग्राम उद्ोग के बुनकरों ने भारत की बुनाई को प्रिपशषित पक्ा।
ररतु बेरी पलए ही माना िाता िा। आि िब मेर े द्ारा कड़ी मेहनत से बनाए गए किड़े ्ह तर् िहचान कराता है पक भारती्
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फ़ैशन पडज़ाइनर ब्राड कलेकशन में खािी के लाल, मरून को भारती् िनमानस तक ले िाने का पडिाइनर, भारत की बुनाई और खािी की
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्ा पिरोज़ा रंग नज़र आते हैं तो लोग मैंने पनरंतर प्र्ास पक्ा है। प्रधानमंत्री वैनशवक सतर िर िहुँच बना रहे हैं और इस
सोचकर हैरान रहते हैं पक क्ा ्ह के नेतृतव में खािी ब्रांड हर घर में प्रचपलत तरह साझा प्र्ासों से हम ‘लोकल ़िॉर
सचमुच खािी है। एक और रोचक तर् है। समूचे राषट् ने एक साि खािी िर बात गलोबल’ को चररतािषि कर सकते हैं।
आि समिूणषि राषट् िहाँ िूरे ज़ोर-शोर ्ह पक ्े किड़े पडज़ाइनर कीमतों िर करनी शुरू कर िी है। उ्होंने राषट् को मैं सभी भारती्ों से अिील करती
के साि आज़ािी का अमृत महोतसव मना पबकते हैं। मेरा लक्् िेश में खािी को आतमपनभषिर बनाने की पिशा में प्रत्क हूँ पक उनके िास खािी का एक िररधान
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रहा है, ऐसे में आज़ािी को िररभाप्त करने पवपशषट, समद और ख़ास िहचान िेने स े व्नकत को खािी के महत्व के बारे में अवश् हो, पिसे वे पकसी महत्विणषि
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वाले हरेक पवचार िर ध्ान िेना ज़रूरी हो िुड़ा है और इसके साि ही पवशव को ्ह बता्ा है और आि िैशन िगत में खािी अवसर िर िहनें, तापक लोग खािी की
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िाता है। आज़ािी को प्रपतपबनमबत करने बताना पक ्ह हमारा राषट्ी् िररधान ह ै को आगे ले िाने वाले िहले व्नकत्ों में सुंिरता को िहचानें और इसकी समृद
वाला सबसे बड़ा पवचार, पिसने िशकों और हमें इस समद धरोहर िर गवषि है। शापमल रहने िर मैं ‘़िैशन के पलए खािी, धरोहर से अवगत हों, साि ही नए कल के
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तक िेश को एकता के सूत्र में पिरोए रखा, चूँपक महातमा गाँधी का इसमें अटूट राषट् के पलए खािी और िररवतषिन के रचनाकार के तौर िर ्ुवाओं को खािी का
खािी है। िब महातमा गाँधी ने चरखे का पवशवास िा, चूँपक भारत की सवतंत्रता के पलए खािी’ के प्रधानमंत्री के मंत्र से बेहि अनुभव और उसे सह्ोग ज़रूर करना
इसतेमाल शुरू पक्ा िा, उनका एकमात्र पलए संघ्षि करने वाले सवतंत्रता सेनानी इसे प्रेररत हूँ। चापहए। इस िीवाली भारत के सिानी्
उद्देश्, सवतंत्रता की लड़ाई के िौरान िहनते ि, इसपलए ़िरूरी हो िाता है पक साि ही आगामी कल के चलन बुनकरों के घरों में उिाला करने और
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खािी को प्रत्क घर और व्नकत के आि का ्ुवा भारत की आतमसवरूि खािी सिापित करने वाले ्ुवा द्ारा खािी भारत भर में ह्वोललास की लहर िैलाने
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हृि् तक ले िाना और उनमें राषट्वाि को पवशे् बनाने वाले प्र्ास को समझे। िहनना अब अपभ्ान सरीखा बन ग्ा है। के पलए हमें इस उतसव में खािी को ज़रूर
की धारा प्रबल करना िा। आि खािी को खािी सामापिक समानता का भी आिशषि छोटे क्ेत्रों और राज्ों में रहने वाले लोग शापमल करना चापहए।
राषट्भनकत का प्रतीक और राषट् का गौरव
माना िाता है।
खािी केवल वसत्र नहीं, पवचार
है; एक िशषिन है; एक िनषटकोण है।
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पवपभन् तरह के आकार-प्रकार और
रंगों में पनपमषित खािी सुंिर हसतपनपमषित
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