Page 54 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
P. 54

्ह भारत के बेरोज़गार ्ुवाओं को
                                             े
               वोकि फटॉर िोकि  क साथ आत्मलनभ्शर
                                                                                       अिने व्वसा् को शुरू करने और आगे
                  भारत क एक नए युग की रुरूआत                                           बढ़ाने के पलए एक अपभनव मंच बनाकर
                             े
                                                                                       उद्म  करने  में  सक्म  बना  रहा  है।
                                                                                       सिानी्  पनवासी  पववेक,  िरीिाबाि  में
            प्रधानमंत्री  की  ‘वोकल  ़िॉर                                              पज़ला  िरर्ि  द्ारा  आ्ोपित  ‘वोकल
        लोकल’  िहल  भारत  में  कई  सिानी्                                              ़िॉर  लोकल’  प्रिशषिनी  में  भाग  लेते  हुए
        कारीगरों, पशलिकारों और उद्पम्ों के                                             साझा  करते  हैं  पक,  “राषट्ी्  ग्रामीण
        सिनों को िूरा कर रही है। लोकल के                                               आिीपवका के तहत ‘वोकल िॉर लोकल’
                                                                                                            ़
                                                                                                                            ै
        पलए वोकल होने का उनका आह्ान िेश                                                को बढ़ावा िेने के पलए हम सव्ं सहा्ता   िपवक खािी उतिाि बेचते हैं, साझा करत  े
        के हर क्त्र, हर पज़ले और हर राज् में                                           समूह से िड़े हैं और घर का बना सामान,   हैं,  “्ह  ्ोिना  छोटे  उद्पम्ों  और
               े
                                                                                                ु
                    े
        गूँि रहा है, प्रत्क अपभ्ान में नवाचार                                          िैसे  अचार  और  िािड़  को  बेचने  और   व्वसा्ों का उतिान कर रही है। फ़ंपडंग
        का अिना ततव िोड़ रहा है।                                                        बढ़ावा िेने आए हैं। हम सरस मेले और   की  तलाश  करने  वाले  लोग,  िो  अिन  े
            हुनर  हाट  िैसी  प्रपतनषठत  िहल                                            िीएम मोिी के ‘हुनर हाट’ में भी सपक्र्   व्वसा् को बढ़ाने की इचछा रखते हैं,
                                                                                                                             े
                                                                      ै
                 े
        िुरसकृत पलटिामशों में बिल रही है, िहा  ँ  और घर के बने व्ंिनों से लेकर िपवक    रूि से भाग लेते हैं। िीएम द्ारा ‘वोकल   पवश् रूि से ्ुवा, िो व्वसा् में उद्म
        िारमिररक  कला  और  पशलि  को  वह    खािी उतिािों तक हुनर   हाट के माध्म स  े    ़िॉर लोकल इपनपशएपटव’ एक अपभनव      करना चाहते हैं, उनके पलए ्ह सरकार
                                                                ृ
                                                                   ृ
                                                                   ं
        िहचान पमल रही है, पिसके वे हकिार हैं।   सविेशी उतिािों की एक पवसतत श्रखला का                                      द्ारा  पि्ा  ग्ा  एक  गेम-चेंपिंग
                                                                                                                ु
                                                                                                                            े
                                                                                                                             ़
        िेश भर में आ्ोपित हुनर   हाट, सिानी्   प्रिशषिन पक्ा िा रहा है और ्ह बड़े िैमान  े  ्ोिना है। हम 2016 से इससे िड़े हुए हैं   पलटिॉमषि है और िनता के बीच एक बड़ी
        कारीगरों को उनके कौशल और प्रपतभा   िर िूरे भारत के लोगों का ध्ान केंपद्रत      और आि आ् का प्रवाह नसिर है और      सिलता सापबत हुई है।”
        का प्रिशषिन करने, उनकी अा् बढ़ाने और   कर रहा है।                               हम पवपभन् मपहलाओं के पलए रोज़गार       भारत िहले से कहीं अपधक ते़िी से
                                                                                        ै
        रोज़गार  के  अवसर  उिल बध  करने  के   पवकास  को  गपत  िेते  हुए  ‘वोकल         ििा करने में सक्म हैं, पिनके िास िहले   आतमपनभषिरता  की  ओर  बढ़  रहा  है।
                        ं
                                   ़
        पलए  राषट्ी्  और  अ तरराषट्ी्  बािारों   ़िॉर लोकल’ िहल कई लोगों के िीवन       कई अवसर नहीं िे और िो िहले का्षिरत   सिानी् सतर िर माँगों को िूरा पक्ा िा
        तक िहँच प्रिान कर रहे हैं। ऐसा करने में   को बिल रही है। िो मपहलाएँ काम के     नहीं िीं।”                         रहा  है।  सविेशी  उतिािों  से  िेश  की
              ु
                                                                                                          ू
                                                                                                                    ं
                                                                     ें
                                               े
        हुनर   हाट को भारत की वासतपवक क्मता   रासत तलाश रही िीं, अब ्ह उ्ह और              खािी,  एक  महत्विणषि  सविेशी  ब्राड   अिषिव्वसिा को रफ़तार पमल रही है और
        और पवरासत को सामने लाने के पलए एक   उनके िररवारों को रोज़गार के माध्म स  े     को भी ‘वोकल ़िॉर लोकल’ अपभ्ान      भारत  में  आतमपनभषिरता  का  न्ा  सवेरा
        सिल िहल माना िाता है।              सशकत बना रही है।                            के माध्म से व्ािक रूि से लोकपप्र्   िेखने को पमल रहा है। हालाँपक राषट् का
            हैंडलूम   से  लेकर   हसतपशलि  तक   ऐसे  ही  कुछ  लोगों  से  िूरिशषिन  ने   और प्रचाररत पक्ा िाता है। खािी ग्राम   संकलि है पक न केवल इन हसतपनपमषित,
                                           बातचीत की।                                  उद्ोग के सनी पसंघल, िो नसकनके्र    सविेशी  उतिािों  को  सिानी्  सतर  िर
                                              ‘नई पिशा’ सव्ं सहा्ता समूह की            से  लेकर  ह्रके्र  तक  हसतपनपमषित,
                                                                                                 े
                                           गीता ने साझा पक्ा पक, “10-12 मपहलाओं                                           बढ़ावा  िेना  चापहए,  बनलक  उ्हें  वैनशवक
                                           के 10 समूहों के साि हमें अिने घर का                                            सतर िर भी ले िाना चापहए। िब भी हम
                                           बना  उतिाि  बेचने,  सिल  पबक्री  करने                                          भपवष् में ‘वोकल ़िॉर लोकल’ की बात
                                           और िीएम के ‘वोकल ़िॉर लोकल’ के                                                 करें, तो उसका अिषि भारत में बने उच्
                                           माध्म से कई अ्् मपहलाओं के पलए                                                 गुणवत्ता वाले उतिािों से होना चापहए, िो
                                                                                                                                    ु
                                                   ै
                                           रोज़गार  ििा  करने  के  पलए  एक  मंच                                           भारत और िपन्ा के पलए हो। आगे बढ़ने
                                           पमला  है।  इस  िहल  ने  मपहलाओं  को                                            का  ्ही  हमारा  एकमात्र  संकलि  और
                                                                                                                            ू
                                                                                                                                                     ़
                                           सममानिनक  िीवन  िीने  का  मौका                                                 ््  इंपड्ा  के  पलए  हमारा  पविन
                                           पि्ा है।”                                                                      होना चापहए।
                                       50                                                                              51
   49   50   51   52   53   54   55   56   57   58   59