Page 8 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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        शारीररक चुनौती से मुकाबला कर रहे हैं।   लाखों  मेरे  पिव्ाग  भाई-बहनों  को  होन  े
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        बहुत से ऐसे भी लोग हैं, िो ्ा तो सुन   लगा है। हरर्ाणा की रहने वाली ििािी
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        नहीं िाते ्ा बोलकर अिनी बात नहीं रख   तो इपड्ा साइन लैंगवेि से बहुत खुश हैं।
        िाते।  ऐसे  सापि्ों  के  पलए  सबसे  बड़ा   िहले वो अिने बेटे से ही संवाि नहीं कर
        समबल  होती  है,  साइन  लैंगवेि,  लपकन   िाती िीं, लपकन 2018 में साइन लैंगवेि
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                                                    े
        भारत में बरसों से एक बड़ी पिककत ्  े  की ट्ेपनंग लेने के बाि, माँ-बेटे िोनों का
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        िी पक साइन लैंगवेि के पलए कोई सिषट   िीवन आसान हो ग्ा है। ििािी के बेटे
        हाव-भाव  त्  नहीं  िे,  सटैंडड सषि  नहीं  िे।   ने  भी  साइन  लैंगवेि  सीखी  और  अिन  े
                              ्
        इन मनशकलों को िूर करने के पलए ही   सककूल  में  उसने  सटोरीटेपलंग  में  प्राइज़
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        व्षि 2015 में इपड्ा साइन लैंगवेि परसचषि   िीतकर  भी  पिखा  पि्ा।  इसी  तरह,
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        एंड ट्ेपनंग सेंटर की सिािना हुई िी। मुझ  े  पटंकािी की छह साल की एक पबपट्ा है,   ने खि ही साइन लैंगवेि की टीचर बनन  े  लहरा रहा है। हम सभी कई टूनाषिमेंट स में
                                                                                                                                                     ्
                                                                                           ु
        ख़ुशी है पक ्े संसिान अब तक िस हज़ार   िो सुन नहीं िाती है। पटंकािी ने अिनी     का भी िैसला ले पल्ा है।            इसके साक्ी रहे हैं। आि कई लोग ऐस  े
           ्
        वड सषि  और  एकसप्रशंस  की  पडकशनरी   बेटी को साइन लैंगवेि का कोसषि करा्ा           सापि्ो, मैं इसके बारे में ‘मन की   हैं, िो पिव्ागों के बीच पिटनेस कलचर
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                                                                                                                                   ं
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        त्ार कर चुका है। िो पिन िहले ्ानी   िा, लपकन उ्हें खि साइन लैंगवेि नहीं        बात’  में  इसपलए  भी  चचाषि  कर  रहा  ह  ँ ू  को ज़मीनी सतर िर बढ़ावा िेने में िुटे
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        23  पसतमबर  को  साइन  लैंगवेि  डे  िर,   आती िी, इस विह से वो अिनी बच्ी        तापक इपड्ा में साइन लैंगवेि को लेकर   हैं। इससे पिव्ागों के आतमपवशवास को
                                                                                                                                      ं
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        कई  सककूली  िाठ्यक्रमों  को  भी  साइन   से कम्ूपनकेट नहीं कर िाती िी। अब       अव्रनेस बढ़े। इससे हम अिने पिव्ाग   बहुत बल पमलता है।
                                                                                          े
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        लैंगवेि  में  लॉ्च  पक्ा  ग्ा  है।  साइन   पटंकािी ने भी साइन लैंगवेि की ट्ेपनंग   सापि्ों की अपधक-से-अपधक मिि कर
        लैंगवेि के त् सटेंडड्ट को बनाए रखन  े  ली है और िोनों माँ-बेटी अब आिस में      सकेंगे।  भाइ्ो  और  बहनो!  कुछ  पिन    मेरे  प्ारे  िेशवापस्ो,  मैं  कुछ
                                    ़
        के पलए राषट्ी् पशक्ा नीपत में भी कािी   खूब  बातें  पक्ा  करती  हैं।  इन  प्र्ासों   िहले मुझे ब्रल में पलखी हेमकोश की एक   पिन िहले सूरत की एक पबपट्ा अ्वी से
                                                                                                े
                                                                     ं
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        बल पि्ा ग्ा है। साइन लैंगवेि की िो   का  बहुत  बड़ा  लाभ  केरला  की  मििी       कॉिी  भी  पमली  है।  हेमकोश  असपम्ा   पमला। अ्वी और अ्वी के ्ोग से मेरी वो
        पडकशनरी बनी है, उसके वीपड्ो बनाकर   को भी हुआ है। मिूिी, ि्म से ही सुन         भा्ा  की  सबसे  िुरानी  पडकशनरीि  में   मुलाकात इतनी ्ािगार रही है पक उसके
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                                                                                                                 ़
        भी उनका पनरंतर प्रसार पक्ा िा रहा है।   नहीं िाती हैं, इतना ही नहीं, उनके िेरेंट स   से  एक  है।  ्ह  19वीं  शताबिी  में  त्ार   बारे में, मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं
                                                                       ्
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        ्ूट ्ूब िर कई लोगों ने, कई संसिानों   के िीवन में भी ्ही नसिपत रही है। ऐस  े   की  गई  िी।  इसका  समिािन  प्रख्ात
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        ने, इपड्ा साइन लैंगवेि में अिने चैनल   में साइन लैंगवेि ही िूरे िररवार के पलए   भा्ापवद् हेमच्द्र बरुआिी ने पक्ा
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        शुरू  कर  पिए  हैं,  ्ानी  7-8  साल  िहल  े  संवाि का िरर्ा बनी है। अब तो मिूिी   िा। हेमकोश का ब्रल एडीशन करीब
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        साइन  लैंगवेि  को  लेकर  िो  अपभ्ान                                            10  हज़ार  िन्ों  का  है  और  ्ह  15
        िेश में प्रारमभ हुआ िा, अब उसका लाभ                                            वाल्मस से भी अपधक में प्रकापशत
                                                                                           ू
                                                                                       होने िा रहा है। इसमें एक लाख स  े
                                                                                       भी अपधक शबिों का अनुवाि होना
                                                                                                   े
                                                                                       है।  मैं  इस  संविनशील  प्र्ास  की
                                                                                                         ू
                                                                                       बहुत  सराहना  करता  हँ।  इस  तरह
                                                                                       के  हर  प्र्ास  पिव्ाग  सापि्ों  का
                                                                                                       ं
                                                                                       कौशल और सामर्षि बढ़ाने में बहुत
                                                                                       मिि  करते  हैं।  आि  भारत  िैरा
                                                                                       सिोट सषि  में  भी  सिलता  के  िरचम
                                                                                           ्
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