Page 52 - Putting Farmers First Hindi
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खररीददारों से बकसान तय करीमत प्रापत कर सकते हैं
“दरकों सषे मकसानों के पक् िें तीन प्रिुख सुधारों की मनरंतर िांग की जा रही है। अब
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सरकार द्ारा तीन सुधारों को लागू मकए जान स मकसानों को अपनी उपज िमर्यों के अलावा
अन्य सरानों पर भी बचन की सुमवधा मिल गई है। इसका अर्थ है मक मकसान अपनी उपज
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को जहां कहीं भी बहतर कीित मिलगी वहां बच सकत हैं। दूसरा, ्यमद मकसान चाहत हैं तो
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बुवाई के सि्य ही अपनी फसल की कीित त्य कर सकत हैं।
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अब आलू उतपादक मकसान मचपस मनिा्थता उद्ोग के सार, वहीं आि उतपादक मकसान
आि का जूस बनान वाल उद्ोगों के सार तो टिाटर उतपादक मकसान सॉस बनान वाल षे
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उद्ोग के सार अपनी फसलों की बुवाई के सि्य ही करार कर सकत हैं। इसस मकसानों
को त्य कीित मिलगी और फसलों की कीित मगरन की मचंता स भी उनहें मनजात मिल
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सकेगी।''
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आतिमनभ्थर उत्र प्रदषेर रोजगार अमभ्यान का रुभारमभ करत हुए 26 जून 2020 को
प्रधानित्री नरषेनद्र िोदी के वकतव्य का अंर
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कृबि सुधारों के िाद ररी न्यूनतम समथ्भन मूलय प्रणालरी और
मजिूत हो रहरी है
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''हाल िें सिापत हुए रबी फसल मवपणन िौसि िें सरकार न 389.9 लाख िीमट्क टन
गहूं की न्यूनति सिर्थन िूल्य पर खरीद की है, जो मक एक कीमत्थिान है। न्यूनति सिर्थन
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िूल्य के रूप िें मकसानों को 75,055 करोड़ रुपए का भुगतान मक्या ग्या है।
जारी खरीफ मवपणन िौसि िें 159.5 लाख िीमट्क टन धान की खरीदी की गई है, जो
मक मपछल वि्थ इसी अवमध तक 134.5 लाख िीमट्क टन री और ्यह 18.62% की वृमधि
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है। ्यह सब हिार तीन अध्यादषेर लान के बाद हुआ है, जो मक अब संसद द्ारा पाररत कर
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मदए गए हैं।
्यूपीए के दूसर का्य्थकाल के 5 विषों (2009-10 स 2013-14) और िोदी सरकार के
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मपछल पांच विषों के दौरान न्यूनति सिर्थन िूल्य के भुगतान िें बड़ा अंतर साफ तौर पर
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दखा जा सकता है। ्यूपीए-2 के पांच विषों की तुलना िें िोदी सरकार िें मकसानों को मपछल षे
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पांच विषों िें धान के मलए 1.5 गुना, गहूं के मलए 1.3 गुना, दलहनों के मलए 75 गुना और
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मतलहनों के मलए 10 गुना ज्यादा न्यूनति सिर्थन िूल्य का भुगतान मक्या ग्या है। अतः
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्यह सव्यं सामबत करता है मक न्यूनति सिर्थन िूल्य प्रणाली को खति मकए जान जैसी बातें
मकतनी बबुमन्यादी और झू्ठी हैं।''
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29 अकटूबर 2020 को इकोनॉमिक टाइमस को मदए साक्ातकार िें
प्रधानित्री नरषेनद्र िोदी का वकतव्य
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