Page 85 - Putting Farmers First Hindi
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             अनुबंध पर खती का िाग्थ प्ररसत करन वाल कानून िें एक सिग्, मकसान
                                                                   षे
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             महतैिी कानूनी व्यवसरा की गई है, मजसस उनहें खरीददारों स जुड़न िें
             सहा्यता मिलती है।
             ्यह कानून मकसानों की भूमि एवं उनके अमधकारों की रक्ा करता है और
             सि्य पर मनशशचत भुगतान न मिलन की शसरमत िें उनहें कानूनी अमधकार
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             भी उपलबध कराता है, तामक व अपनी धनरामर प्रापत कर सकें।
             आवश्यक वसतु कानून िें संरोधन मक्या ग्या है तामक मवमभन्न खाद्
             उतपादों को िूल्य मन्यंत्रण के दा्यर स बाहर मक्या जा सके और इसके
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             सार  ही  ्यह  सुमनशशचत  मक्या  जा  सके  मक  मकसान  इन  वसतुओं  के
             वासतमवक िूल्यों स अवश्य ही लाभाशनवत हों।
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             इन कानूनों स मकसानों को उनकी आ्य बढान िें िदद मिल रही है और
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             इसके सार ही कृमि िें मनवषेर व प्रौद्ोमगकी भी आ रही है।








             ई-नाम (e-NAM) िे जररए किसानों िो अपनी उपज
             िा सही मूलय कदलाने में सहायता

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             ्यह एक ई-ट्टेमरंग पलषेटफॉि्थ है, मजसनषे मकसानों को सबस बहतर िूल्य
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             मदलान के मलए 18 राज्यों/केनद्र रामसत प्रदषेरों िें शसरत लगभग 1,000
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             बाजारों को एकीकृत मक्या है।

             1.68 करोड़ मकसानों का पंजीकरण हो चुका है। इसी तरह लगभग 1,800
             कृिक उतपादक संग्ठनों का पंजीकरण हो चुका है।

             मवमभन्न राज्यों िें मकसानों और खरीददारों के बीच कुल 1.13 लाख
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             करोड़ रुप्यषे के लन-दन को सुगि बना्या जा चुका है।







                                           अन्नदाता क हितों को समह्त मोदी सरकार | 78
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