Page 8 - Mann Ki Baat December 2022
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मेरे  पयारे  ्ेशवाछसयो,  हमारे  यहा  ँ  की गई एक इनटेंछसव छरसच्ष में सामन  े
        कहा जाता है –                     आया है छक ब्ेसट कैंसर के मरी़जों के
            सतयम  छकम  प्माणम,  प्तयक्म   छलए  योग  बहुत  ़जया्ा  असरकारी  है।
        छकम प्माणम।                       टाटा मेमोछरयल सेनटर ने अिनी छरसच्ष
            यानी  सतय  को  प्माण  की      के नतीजों को अमेररका में हुई बहुत ही
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        आव्यकता नहीं होती, जो प्तयक् है, उस  े  प्छतशष्ठत ब्सट कैंसर कॉनफ्रेंस में प्सतत
        भी  प्माण  की  आव्यकता  नहीं  होती,   छकया है। इन नतीजों ने ्छनया के बड़े-
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        लछकन  बात  जब  आधछनक  मछडकल       बड़े  एकसिट्ड  का  धयान  अिनी  तरफ
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        साइंस की हो, तो उसमें सबसे महत्विूण्ष   खींचा है, कयोंछक टाटा मेमोछरयल सेनटर
        होता है – प्माण– एछवडेनस। सछ्यों स  े  ने एछवडेनस के साथ बताया है छक कैस  े
        भारतीय जीवन का छहससा रहे योग और   मरी़जों को योग से लाभ हुआ है। इस
        आयववे्  जैसे  हमारे  शासत्रों  के  सामन  े  सेनटर की ररसच्ष के मुताछबक योग के
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        एछवडेनस बेस छरसच्ष की कमी, हमेशा-  छनयछमत  अभयास  से  ब्सट  कैंसर  के
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        हमेशा  एक  चुनौती  रही  है–  िररणाम   मरी़जों की बीमारी के छफर से उभरन  े
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        छ्खते  हैं,  लछकन  प्माण  नहीं  होते  हैं,   और मृतय के खतरे में 15 प्छतशत तक
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        लछकन मुझे ख़ुशी है छक एछवडेनस बेस   की कमी आई है। भारतीय िारमिररक
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        मछडसन के युग में अब योग और आयववे्   छचछकतसा  में  यह  िहला  उ्ाहरण  है,
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        आधछनक युग की जाँच और कसौछटयों     छजसे  िश्चमी  तौर-तरीकों  वाले  कड़े
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        िर भी खरे उतर रहे हैं। आि सभी न  े  मानकों िर िरखा गया है, साथ ही यह
        मुमबई  के  टाटा  मेमोररयल  सेनटर  के   िहली सटडी है, छजसमें ब्सट कैंसर स  े
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        बारे में जरूर सुना होगा। इस संसथान   प्भाछवत मछहलाओं में योग से कवाछलटी
        ने छरसच्ष, इनोवेशन और कैंसर केयर में   आ्फ  लाइ्फ  के  बेहतर  होने  का  िता
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        बहुत नाम कमाया है। इस सेनटर द्ारा   चला है। इसके लॉनग टम्ष बछनछफट भी

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