Page 13 - Mann Ki Baat December 2022
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चुनौती भी आसान हो जाती है। इसकी भेजा जाता है। यहाँ आने वाले िय्षटकों
छमसाल िेश की है– छसशककम के थेग ू को किड़े से बने गाबवेज छबनस भी छ्ए
गाँव के ‘संगे शेरिा जी’ ने। ये छििल े जाते हैं ताछक कूड़ा-कचरा इधर-उधर न
14 साल से 12,000 फीट से भी ़जया्ा की फरेंके। अब बेह् सा्फ-सुथरी हो चुकी
ऊँचाई िर िया्षवरण संरक्ण के काम इस झील को ्ेखने हर साल करीब 5
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में जुटे हुए हैं। संगेजी ने सांसकृछतक लाख िय्षटक यहाँ िहँचते हैं। सोमगो
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और िौराछणक महत्व की सोमगो लेक लेक के संरक्ण के इस अन्ठे प्यास के
को सवचि रखने का बीड़ा उ्ठा छलया छलए संगे शेरिाजी को कई संसथाओं न े
है। अिने अथक प्यासों से उनहोंने इस सममाछनत भी छकया है। ऐसी ही कोछशशों
गलेछशयर लेक का रंग-रूि ही ब्ल की ब्ौलत आज छसशककम की छगनती
डाला है। साल 2008 में संगे शेरिाजी भारत के सबसे सवचि राजयों में होती है।
ने जब सवचिता का यह अछभयान शुरू मैं संगे शेरिाजी और उनके साछथयों के
छकया था, तब उनहें कई मुश्कलों का साथ-साथ ्ेशभर में िया्षवरण संरक्ण
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सामना करना िड़ा, लछकन ्ेखते-ही- के नेक प्यास में जुटे लोगों की भी हृ्य
्ेखते उनके इस नेक काय्ष में युवाओं से प्शंसा करता हँ। ू
और ग्रामीणों के साथ ही िंचायत का साछथयो, मुझे खुशी है छक ‘सवचि
भी भरिूर सहयोग छमलने लगा। आज भारत छमशन’ आज हर भारतीय के मन
आि अगर सोमगो लेक को ्ेखन े में रच-बस चुका है। साल 2014 में इस
जाएँगे तो वहाँ चारों ओर आिको बड़े-बड़े जन आन्ोलन के शुरू होने के साथ ही
गाबवेज छबनस छमलेंगे। अब यहाँ जमा हुए इसे नई ऊँचाइयों िर ले जाने के छलए,
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कूड़े-कचरे को छरसाइकछलंग के छलए लोगों ने कई अन्ठे प्यास छकए हैं और
स्वच्छ
भारत
िमशन
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