Page 10 - Mann Ki Baat December 2022
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        आयववे्  काग्रस  में  भी  मैंन  े
        ्छनया  भर  से  जुटे  आयववे्
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        एकसिट्ड  के  सामने  एछवडेनस
        बेस ररसच्ष का आग्रह ्ोहराया।
        छजस  तरह  कोरोना  वैश्वक
        महामारी के इस समय में योग
                ु
        और आयववे् की शशकत को हम
        सभी  ्ेख  रहे  हैं,  उसमें  इनस  े  िन-क्षय िमत्र बनकर दें एक उदाहरण
                                          टीबी मरीज़ों के जीवन स
                                                              े
        जुड़ी एछवडेनस-बेसड ररसच्ष बहुत      करें टीबी का िनवारण
        ही महत्विण्ष साछबत होगी। मेरा
                ू
        आिसे भी आग्रह है छक योग, आयववे्   होता है तो उसे महीनों तक बुखार रहता
                                   ु
        और  हमारी  िारमिररक  छचछकतसा      है,  खून  की  कमी  हो  जाती  है,  शरीर
        िद्छतयों से जुड़े हुए ऐसे प्यासों के बार  े  कम़जोर िड़ जाता है और वजन भी घट
        में अगर आिके िास कोई जानकारी हो   जाता है। यह बीमारी बच्ों से लेकर बड़ों
                                                                    े
        तो उनहें सोशल मीछडया िर ़जरूर शेयर   तक, छकसी को भी हो सकती है, लछकन
        करें।                             सबके प्यास से ‘कालाजार’ नाम की य  े
                                                    े
                                          बीमारी अब त़जी से समापत होती जा रही
            मेरे पयारे ्ेशवाछसयो, बीते कुि वरवों   है। कुि समय िहले तक कालाजार का

        में हमने सवासरय-क्ेत्र से जुड़ी कई बड़ी   प्कोि 4 राजयों के 50 से अछधक छजलों
        चुनौछतयों िर छवजय िाई है। इसका िूरा   में फैला हुआ था, लछकन अब ये बीमारी,
                                                        े
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        श्य हमारे मछडकल एकसिट्ड, साइछटसट   छबहार और झारखणड के 4 छजलों तक ही
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        और  ्ेशवाछसयों  की  इचिाशशकत  को   छसमटकर रह गई है। मुझे छव्वास है,
        जाता है। हमने भारत से समॉल िोकस,   छबहार-झारखणड के लोगों का सामरय्ष,
        िोछलयो  और  ‘छगन्नी  वम्ष’  जैसी   उनकी  जागरूकता  इन  चार  छजलों  स  े
        बीमाररयों को समापत करके छ्खाया है।  भी  ‘कालाजार’  को  समापत  करने  में
            आज  ‘मन  की  बात’  के  श्ोताओं   सरकार  के  प्यासों  को  म््  करेगी।
        को  मैं  एक  और  चुनौती  के  बारे  में   ‘कालाजार’-  प्भाछवत  क्ेत्रों  के  लोगों
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        बताना चाहता हँ, जो अब समापत होने की   से भी मेरा आग्रह है छक वो ्ो बातों का
        कगार िर है। ये चुनौती, ये बीमारी है–   जरूर धयान रखें। एक है– सेनड फलाई
        ‘कालाजार’। इस बीमारी का िरजीवी    या बालू मकखी िर छनयंत्रण और ्ूसरा,
        सेनड फलाई यानी बालू मकखी के काटन  े  जल्-से-जल् इस रोग की िहचान और
        से फैलता है। जब छकसी को ‘कालाजार’   िूरा  इलाज।  ‘कालाजार’  का  इलाज


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