Page 11 - Mann Ki Baat December 2022
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आसान है, इसके छलए काम आने वाली करके ही छ्खाती है।
्वाएँ भी बहुत कारगर होती हैं। बस मेरे पयारे ्ेशवाछसयो, हमारी
आिको सतक्क रहना है। बुखार हो तो िरमिरा और संसकृछत का माँ गंगा
लािरवाही ना बरतें और बालू मकखी को से अटूट नाता है। गंगा जल हमारी
खतम करने वाली ्वाइयों का छिड़काव जीवनधारा का अछभन्न छहससा रहा ह ै
भी करते रहें। जरा सोछचए, हमारा ्ेश और हमारे शासत्रों में भी कहा गया है–
जब ‘कालाजार’ से भी मुकत हो जाएगा, नमाछम गंगे तव िा् िंकजं,
तो ये हम सभी के छलए छकतनी खुशी सुर असुरै: वशन्त छ्वय रूिम्।
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की बात होगी। सबके प्यास की इसी भशकतम् च मशकतम् च ््ाछस छनतयम्,
भावना से हम भारत को 2025 तक टी.बी. भाव अनुसारेण स्ा नराणाम्।।
मुकत करने के छलए भी काम कर रह े अथा्षत् हे माँ गंगा! आि अिने भकतों
हैं। आिने ्ेखा होगा, बीते छ्नों, जब को, उनके भाव के अनुरूि सांसाररक
टी.बी. मुकत भारत अछभयान शुरू हुआ, सुख, आनन् और मोक् प््ान करती
तो ह़जारों लोग टी.बी. मरी़जों की म्् हैं। सभी आिके िछवत्र चरणों का वन्न
के छलए आगे आए। ये लोग छनक्य छमत्र करते हैं। मैं भी आिके िछवत्र चरणों में
बनकर, टी.बी. के मरी़जों की ्ेखभाल अिना प्णाम अछि्षत करता हूँ। ऐसे में
कर रहे हैं, उनकी आछथ्षक म्् कर सछ्यों से कल-कल बहती माँ गंगा को
रहे हैं। जनसेवा और जनभागी्ारी की सवचि रखना हम सबकी बहुत बड़ी
यही शशकत, हर मुश्कल लक्य को प्ापत छजममे्ारी है। इसी उद्े्य के साथ
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