Page 68 - Mann Ki Baat - Hindi (September, 2022)
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तो  होगा  ही,  साि  ही  गाँव  वाले  भी  उस
                 मेरिकि क छात्ों का अनोखा प्रयास                                                                          छात्र को अचछे से िहचानने लगेंगे, पिसस  े
                               े
                                                                                                                                                        े
                                                                                                                          इंटरैकशन  आसान  होगा।  गाँवों  के  बच्,
                               े
                        'वविज अिटॉपरन प्रोग्ाम'
                                                                                                                          िो इन छात्रों के साि इंटरैकट करते हैं, व  े
                                                                                                                          प्रोतसापहत हो रहे हैं पक वे भी आगे चल के
            केंद्रशापसत  प्रिेश  िािरा  और  नगर   नमो  मपडकल  कॉलि  की  छात्रा                                            ऐसा काम कर सकते हैं।” डॉ. िास ने कहा।
                                                     े
                                                               े
        हवेली एवं िमन और िीव प्रशासन ने एक   राखी िूब कहती हैं, “हर शपनवार, 10 छात्रों                                        अिना  अनुभव  साझा  करते  हुए,
                                                 े
                                                                                                                                          े
                                                                                                                                े
                                     े
        अनोखा  प्र्ास  शुरू  पक्ा  है,  ‘पवलि   के गुट में हम अिने मेंटर अध्ािकों के                                      नमो  मपडकल  कॉलि  के  छात्र  गवयी
        अडॉपशन  प्रोग्राम’,  पिसके  अंतगषित  नमो   साि,  पबद्राबीन  गाँव  में  आते  हैं।  गाँव  में                       चौधरी ने कहा, “शहरी लोगों के पविरीत,
                                                 ं
                                ं
          े
        मपडकल एिुकेशन एंड ररसचषि इनसटट्ूट,   हम हर उम्र के लोगों की िाँच करते हैं।                                        ग्रामीण  अकसर  सवासर्  केंद्रों  िर  िान  े
        पसलवासा के एमबीबीएस के पवद्ापिषि्ों न  े  छोटे  बच्ों  में  अनीपम्ा,  कुिो्ण  हो  ्ा                              से  पहचपकचाते  हैं।  इसपलए  प्रशासन  न  े
                                     ु
        50 गाँवों को गोि पल्ा है। प्रशासक प्रिल   पिन माँओं को एंटे नेटल व िोसट नेटल                                      त् पक्ा पक ्पि ग्रामीण सवासर् केंद्र
                                                                                                                                            ें
                                                                                                                                               े
        िटेल  के  नेतृतव  में  सवासर्  पवभाग  न  े  के्र  की  ज़रूरत  हो,  हम  उस  िर  िूरा                               नहीं  िा  सकते,  तो  उ्ह  मपडकल  छात्रों
                                                                                                                                           ु
        ग्रामीण क्ेत्रों में सवासर्-समब्धी एवं अ््   ध्ान  िेते  हैं।  बड़े-बज़गशों  में  बलड  प्रशर,                      के  ज़ररए  सवासर्  सपवधाएँ  अवश्  ही
                                                          ु
                                                           ु
                                                                      े
        सरकारी सेवाओं के बारे में िागरूकता   मधुमेह, और टीबी की भी िाँच करते हैं,                                         पमलनी चापहए।”
                                                                                                                                                    ं
        बढ़ाने के उद्दश् से एमबीबीएस प्रपशक्ण   साि ही सवासर्-समब्धी िो भी ्ोिनाए  ँ                                           इन छात्रों का का्षि िेख कर पबद्राबीन
                  े
        िाठ्यक्रम  के  एक  भाग  के  रूि  में  ्ह   हैं, उनकी िानकारी भी हम गाँव वालों को                                  गाँव  की  एक  आपिवासी  मपहला  िीन  ु
                                                                                                                                         ं
        का्षिक्रम शुरू पक्ा है।            िेते हैं, पिससे उ्ह कािी फ़ा्िा हुआ है।                                         रावपत्ा  ने  प्रधानमत्री  को  ित्र  पलखकर
                                                        ें
                                      े
            हमारी िूरिशषिन टीम ने इस िहल स   गीले  और  सूखे  कचरे  को  कैसे  अलग-                                         इस  का्षि  से  अवगत  करा्ा,  पिसका
                                                                                                                                      ं
                                                                                                                              े
        िुड़े लोगों से बात की।              अलग रखना है और उसके क्ा फ़ा्िे हैं,                                             उललख प्रधानमत्री ने अिने समबोधन में
                                           हम इसके बारे में भी गाँव वालों को बतात  े   को पमलता, वह सब हमें सीखने का मौका   भी पक्ा। ग्राम पनवासी सूरि ने बता्ा,
                                                                                                                                                   े
                                           हैं।” राखी ने बता्ा पक उनके प्र्ासों के     पमला है। हमारे पलए ्ह बहुत खुशी की   “िीनु  बेन  ने  मुझसे  कहा  पक  मपडकल
                                                                                                      ं
                                                                                                                                                    ं
                                                                                                                              े
                                           कारण ग्रामवापस्ों ने एक सवसि िीवन           बात  है  पक  प्रधानमत्री  ने  ‘मन  की  बात’   कॉलि के छात्रों के हमारे गाँव पबद्राबीन
                                                                                                     े
                                                                                                                                      ें
                                           शैली को अिना्ा है, पिसका प्रभाव गाँव        में हमारे इस पवलि अडॉपशन प्रोग्राम का   में  आने  से  उ्ह  िो  लाभ  पमला  है  और
                                                                                           े
                                           वालों में पिखता है।                         उललख पक्ा।”                        सवासर् में बेहतरी हुई है, उसके बारे में व  े
                                                                                                                                ं
                                                  े
                                              पवलि  अडॉपशन  प्रोग्राम  के  िौरान           केंद्रशापसत  प्रिेश  के  पचपकतसा  और   प्रधानमत्री को एक ित्र पलखना चाहती हैं।
                                           एमबीबीएस  की  छात्रा  रूिाली  बरर्ा         सवासर् सेवाओं के पनिेशक डॉ. वी.के. िास   छात्रों के प्र्ासों से िीनू बेन के सवासर्
                                                                                                        े
                                           का अनुभव भी अनोखा रहा है। "वैसे तो          ने बता्ा, “हमने कॉलि के 500 बच्ों को   में बेहतरी हुई है और उ्होंने सोचा पक क्  ू ँ
                                                                                                          े
                                                                                                                                                    ं
                                           एमबीबीएस के िाँच व्शों के बाि इंटनषिपशि     50 गाँवों में 10-10 के बैचज़ में बाँटा। इन   इस अचछी िहल के बारे में प्रधानमत्री को
                                                                                                े
                                                                                                                                      ु
                                           के  िौरान  गाँवों  में  िाकर  सीखने  को     बच्ों को ट्पनंग िी गई और हर शपनवार   ित्र पलखकर िहँचा्ा िाए। ित्र उन तक
                                                                                           ें
                                                                                                                            ु
                                           पमलता है। अभी मैं पद्ती् व्षि की छात्रा ह  ू ँ  उ्ह अिने अलॉटेड गाँवों में िाकर िूरा   िहँचा और उ्होंने इसका पज़क्र अिने ‘मन
                                                                                                       े
                                           और  पवलि  अडॉपशन  प्रोग्राम  के  कारण       काम करना है, िैसे बपसक सवगे का काम,   की बात’ समबोधन में पक्ा और हमार  े
                                                  े
                                           अलग-अलग  गाँवों  में  िाकर  िो  लोगों       लोगों को बीमारर्ों और सवासर्-समब्धी   गाँव का भी नाम पल्ा, उसके पलए हम
                                                                                                                                           े
                                           के िीवन के बारे में िता चला, वह बहुत        और अ्् कई सरकारी ्ोिनाओं (िैस  े   उनका और एडपमपनसट्टर साहब का पिल
                                                                                                                              ु
                                                                ़
                                           ही अचछी बात है। हमने ही पसि्फ गाँव वालों    PM-AWAS, पकसान क्रेपडट काड्ट) के बारे में   से शपक्र्ा अिा करते हैं।”
                                           को  नहीं  पसखा्ा,  बनलक  उनसे  भी  हमें     िागरूक करना आपि।”
                                                                                                                              े
                                           बहुत कुछ सीखने को पमला है पक कैस  े             “हमने ्ह पनणषि् पल्ा है पक पिस   ‘पवलि  अडॉपशन  प्रोग्राम’  के  बार  े
                                           कम  से  कम  संसाधनों  के  साि  वे  रहत  े   छात्र को िो गाँव अलॉट होगा, वह िाँच व्शों   में अपधक िानने के पलए QR कोड
                   िीनु रावपत्ा            हैं। िो शा्ि इंटनषिपशि में िाकर सीखन  े     तक उसी गाँव की पज़ममेिारी लेगा। इसस  े  सकैन करें।
                                                                                       ्ह होगा पक छात्र का उस गाँव से लगाव
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