Page 94 - Putting Farmers First Hindi
P. 94

'िेवल प्रिलप (पहल) ही पया्भपत नहीं हैं। किसानों िे
             कलए कविलप िी भी आवशयिता है'- प्रधानमंत्ी

                             ु
               ‘‘ककसान को आिकनक सुकविाएं देना, छोट ककसानों को संगकठत करके उनको बडरी
                                              ़े
             ताकत बनाना, ककसानों करी आ्य बढाने के प्र्यास कनरंतर जाररी हैं। बरीते सालों में फसल
             बरीमा हो ्या कसंचाई, बरीज हो ्या बाजार, हर सतर पर काम कक्या ग्या है। प्रिानमंत्री फसल
             बरीमा ्योजना से देश के लगभग 4 करोड ककसान पररवारों करी मदद हुई है। प्रिानमंत्री
             कृकर कसंचाई ्योजना से लगभग 47 लाख हेकटर ज़मरीन माइक्रो इररगेशन के दा्यरे में आ
             चुकरी है। लगभग 77 हजार करोड रुपए के इररगेशन प्रोजेक्टस पर तेजरी से काम चल
             रहा है।
               लेककन साकथ्यो, सफल प्रकलप हरी काफरी नहीं होते। इसके साथ-साथ ककसानों को
             उस बड़े और व्यापक माककेट का लाभ भरी कमलना चाकहए जो हमारा देश, दुकन्या के बड़े
             बाजार हमारे ककसानों को उपल्ि कराते हैं। इसकलए कवकलप के माध्यम से ककसानों को
             सशकत करने का रासता अपना्या ग्या है। ककसान कहत में ककए गए कृकर सुिार ऐसा हरी
             कवकलप ककसान को देते हैं। अगर ककसान को कोई ऐसा खररीददार कमल जाए जो सरीिा
             खेत से उपज उठाए, जो रिांसपोट्ड से लेकर लॉकजलसटकस के हर प्रबंि करे और बेहतर
             करीमत दे, तो क्या ककसान को अपनरी उपज उसे बेचने करी आज़ादरी कमलनरी चाकहए कक नहीं
             कमलनरी चाकहए? भारत के कृकर उतपाद पूररी दुकन्या में मशहूर हैं। क्या ककसान करी इस बड़े
             माककेट और ज्यादा दाम तक ककसान करी पहुंच होनरी चाकहए कक नहीं होनरी चाकहए? अगर
             कोई पुराने कससटम से हरी लेनदेन को ठरीक समझता है तो, उस पर भरी इस कानून में कहां
             कोई रोक लगाई है भाई?
               नए कृकर सुिारों से ककसानों को नए कवकलप और नए कानूनरी संरक्ण हरी तो कदए गए
             हैं। पहले तो मंररी के बाहर हुए लेनदेन हरी गैरकानूनरी माने जाते थे। ऐसे में छोट ककसानों
                                                                     ़े
             के साथ अकसर िोखा होता था, कववाद होते थे। क्योंकक छोटा ककसान तो मंररी पहुंच हरी
             नहीं पाता था। अब ऐसा नहीं है। अब छोट से छोटा ककसान भरी, मंररी से बाहर हुए हर सौदे
                                          ़े
             को लेकर कानूनरी कारवाई कर सकता है। ्याकन ककसान को अब नए कवकलप हरी नहीं कमले
                            ्भ
             हैं और छल से, िोखे से, उसे बचाने के कलए कानूनरी संरक्ण भरी कमला है। ककसानों को
             प्रकलप के साथ हरी नए कवकलप देने से हरी हमारे कृकर क्ेत् का का्याकलप हो सकता है।
             सरकार करी तरफ से प्रकलप, ककसान के कलए कवकलप और दोनों साथ-साथ चलें, तभरी
             देश का का्याकलप होता है।









             अन्नदाता क हितों को समह्त मोदी सरकार
                    े
                                पि
   89   90   91   92   93   94   95   96   97   98   99