Page 15 - Mann Ki Baat - November2022
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          तैयाररयों  से  जड़ी  3000  से  अफधिक
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          फकताबें मौजूद हैं। इस िाइब्री में बच्ों
          की पसनद का भी पूरा खयाि रखा गया
          है।  यहाँ  मौजूद  कॉफम्स  की  फकताबें
          हों या फिर एजुकेशनि टॉय, बच्ों को
                                   े
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          खूब भा रहे हैं। छोटे बच्े खि-खि में
          यहाँ नई-नई ची़जें सीखने आते हैं। पढ़ाई
          ऑििाइन  हो  या  फिर  ऑनिाइन,
                      ं
          करीब  40  ्ाफिफटयस्य  इस  सेनटर  पर
          सटूडेंट को गाइड करने में जुटे रहते हैं।
                   ँ
          हर रोज़ गा् के तकरीबन 80 फ्द्ािवी
          इस िाइब्री में पढ़ने आते हैं।
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              साफियो!  झारखणड  के  संजय
          कशयपजी  भी  ग़रीब  बच्ों  के  सपनों
          को नई उड़ानें दे रहे हैं। अपने फ्द्ािवी
          जी्न में संजयजी को अचछी पुसतकों
          की  कमी  का  सामना  करना  पड़ा  िा।
          ऐसे में उनहोंने ठान फिया फक फकताबों
          की कमी से ्े अपने क्षेत् के बच्ों का
                                                          े
          भफ्षय  अधिकारमय  नहीं  होने  देंगे।   फिए मैं उनकी फ्श् सराहना करता हँ। ू
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          अपने इसी फमशन की ्जह से आज ्ो
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          झारखणड के कई फजिों में बच्ों के फिए   मेरे  पयारे  देश्ाफसयो,  मफडकि
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          ‘िाइब्री मैन’ बन गए हैं। संजयजी न  े  साइनस  की  दफनया  ने  फरसच्य  और
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          जब अपनी नौकरी की शुरुआत की िी,    इनो्ेशन  के  साि  ही  अ्याधिुफनक
          उनहोंने पहिा पुसतकािय अपने पैतृक   टेक्ोिॉजी  और  उपकरणों  के  सहार  े
          सिान पर बन्ाया िा। नौकरी के दौरान   कािी  प्रगफत  की  है,  िफकन  कुछ
                                                                े
          उनका जहाँ भी ट्ासिर होता िा, ्हा  ँ  बीमाररयाँ आज भी हमारे फिए बहुत बड़ी
                        ं
          ्े ग़रीब और आफद्ासी बच्ों की पढ़ाई   चुनौती बनी हुई हैं। ऐसी ही एक बीमारी
          के फिए िाइब्री खोिने के फमशन में   है  –  मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी!  यह  मुखय
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          जुट  जाते  हैं।  ऐसा  करते  हुए  उनहोंन  े  रूप  से  एक  ऐसी  अन्ाफशक  बीमारी
          झारखणड के कई फजिों में बच्ों के फिए   है, जो फकसी भी उम्र में हो सकती है।
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          िाइब्री खोि दी हैं। िाइब्री खोिने का   इसमें  शरीर  की  मांसपफशयाँ  कमज़ोर
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          उनका यह फमशन आज एक सामाफजक        होने िगती हैं। रोगी के फिए रोज़मरा्य
          आनदोिन का रूप िे रहा है। संजयजी   के  अपने  छोटे-छोटे  कामकाज  करना
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          हों या जफतन जी, ऐसे अनेक प्रयासों के   भी मतशकि हो जाता है। ऐसे मरीज़ों के
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