Page 57 - Mann Ki Baat - November2022
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एक ऐसे समाज के फनमा्यण के
                    े
          फिए, जो फ्श् रूप से चुनौफतयों
          के  समय  बढ़ता,  पनपता  और
                         े
          ििता-िूिता है, स्ा की महान
          भा्ना की आ्शयकता है।
              इसका    एक    उ्ककृषट
                                े
          उदाहरण  है,  फजसका  उलिख
          प्रधिानमंत्ी  ने  अपने  ‘मन  की
          बात’  समबोधिन  में  फकया  िा–
          ्ैज्ााफनक  प्रगफत  के  बा्जूद
          चुनौती बनी मसकुिर फडसट्ॉफ़ी
          नामक  अन्ाफशक  बीमारी
                      ं
                     ु
          से जूझ रहे रोफगयों के उपचार
          में  स्ा  भा्  से  जुटा  ‘मान्
              े
          मतनदर’।
              मसकुिर  फडसट्ॉफ़ी  एक
             ु
          अन्ाफशक  रोग  है,  जो  फकसी
               ं
          भी उम्र में हो सकता है। इसमें
          शरीर की मांसपफशयाँ धिीरे-धिीर  े
                       े
          कमज़ोर होने िगती हैं, फजसस  े
          वयत्त  पूरी  तरह  गफतहीन  हो
          जाता  है  और  रोज़मरा्य  की
                                               े
          गफतफ्फधियों के फिए दूसरों पर फनभ्यर हो   बच् मसकुिर फडसट्ॉफ़ी के साि जनम
          जाता है। मसकुिर फडसट्ॉफ़ी से पीफड़त   िेते  हैं।  ऐसे  रोफगयों  के  उपचार  और
                                                           े
          कुछ  िोगों  को  अंततिः  वहीिचेयर  का   देखभाि  के  फिए  स्ा  की  भा्ना  की
          उपयोग  करने  की  आ्शयकता  होती    आ्शयकता  होती  है।  इस  बीमारी  स  े
                                   े
          है, ्योंफक ्े अपने पैर की मांसपफशयों   पीफड़त  बच्ों  और  ्यसकों  की  सहायता
                                                        ें
          की ताकत खो देते हैं। इसी तरह, कनधिों,   करने और उनह सश्त बनाने के फिए
                               े
             ु
          बाज़ओं और हािों की मांसपफशयों में भी   बड़े पैमाने पर उनके परर्ार और समुदाय
          कमज़ोरी आ जाती है और रोगी के फिए   की  सहायता  और  सहयोग  की  ज़रूरत
          ्सतओं को उठाना तिा रखना मुतशकि    होती  है।  बीमारी  के  साि  आने  ्ािी
             ु
          या असमभ् हो जाता है।              चुनौफतयों  का  मुकाबिा  करने  के  फिए
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              भारत में हर साि 4,000 से अफधिक   रोगी की सहायता के रूप में सामफहक

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