Page 27 - Mann Ki Baat- Speech
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प��मी तट पर चमकता पूव��र का सूयर् इसका उ�� ह दश क �व�भ� प्रदश� क लोग� 'एक भारत, श्रे� भारत' क� �जस अ�ुत और सु�र
क बीच पार��रक समझ को बढ़ावा दना। यह �मसाल का �ज़क्र प्रधानमंत्री ने �कया, उसका नाम ह ै
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कायर्क्रम हम� �व�वध भाषाई, सां��तक और माधवपुर मेला। गुजरात का यह प्र�स� मेला
माधवपुर का मेला पंथ-संप्रदाय� क धाग� म� बुने दश क नाग�रक अरुणाचल प्रदश क� इदु �म�ी जनजा�त से जुड़ा ह।
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होने क� �ज़�ेदारी से अवगत करता ह। ै
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आ�यर् होता ह �क दश क पूव� और प��मी छोर पर
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कला, सं��त और �व�वधता म� एकता क� अ�ुत झलक �ज़�ेदारी न कवल अ� प्रांत� क� �वशेषताओं
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बसे इन दो रा�� का आ�खर एक मेल से �ा
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क बारे म� जानने क�, ब�� �व�भ�
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स�� ह?
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सं��तय� और समुदाय� क बीच अंत�न��हत
भारत भू�म सदा से अपनी �व�वधताओं क� वजह
जुड़ाव को महसूस करने क�, समझने क�। जैसा पौरा�णक मा�ताओं क अनुसार श्रीक� क� प�ी
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भारत क� सं��त, हमारी भाषाए, हमारी
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से प्र�स� रही ह। वह भाषा क� �व�वधता हो या
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बो�लयाँ, हमारे रहन-सहन, खान-पान �क प्रधानमंत्री श्री नरे� मोदी ने कहा ह �क रु��णी इदु-�म�ी जनजा�त क राजा भी�क क�
भूगोल क�, खान-पान क� �व�वधता हो या
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का �व�ार, ये सारी �व�वधताए हमारी सरदार पटल ने हम� ‘एक भारत’ �दया था और पुत्री थ�। का�लका पुराण म� उ���खत भी�कनगर
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वेशभूषा क�, कला क� �व�वधता हो या सं��त
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बहुत बड़ी ताकत ह। पूरब से प��म तक, अब यह हमारी �ज�ेदारी ह �क हम इसे ‘श्रे� �दबांग घाटी �जल म� रोइग क पास ��त माना जाता
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क�, �व�वधता सदा भारत म� उप��त रही ह। ै
उ�र से द��ण तक भारत को यही भारत’ बनाए। ं
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ह। लोकमा�ताओं क अनुसार रु��णी बहुत पहल े
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�व�वधताए, एक करक रखती ह, एक इतने वै�भ� क बाद म� ये �व�वधता सदा भारत और श्रे�ता क पथ पर बढ़ने क �लए और हमारे ही श्रीक� को अपना प�त मान चुक� थ�। पर� ु
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भारत-श्रे� भारत बनाती ह । इसम� भी
क� श्रे�ता, इसक� मह�ा और इसक� अ�ुणता पार��रक वैष� क म� �छपे हुए सा� को रु��णी क भाई रु�ी ने इसका �वरोध �कया और
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हमारे ऐ�तहा�सक �ल� और पौरा�णक
को पो�षत करती रही ह। इतनी �व�वधता, अनेकता उ�ृत करने हतु हम� अपनी सां��तक जड़�
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कथाओं, दोन� का बहुत योगदान होता ह। ै प्र�ा�वत �कया �क राजकमारी क� शादी �शशुपाल स े
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क बाद भी भारत जैसी एकता स�ूणर् �व� म� कह� तक पुनः वापस जाना होगा ता�क हम अनेकता
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क� जाए। श्रीक� ने रु��णी क अनुरोध पर उनक
प्रधानमंत्री नरे� मोदी और दखने को नह� �मलती। म� एकता क� इस भावना को समझ सक।
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अवां�छत �ववाह को रोकने क �लए उनका हरण कर
( मन क� बात क अपने स�ोधन म� ) पौरा�णक प्रतीक� क वतर्मान उपबंध� और
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जैसे रंग� क अनूठ मेल से इद्रधनुष क� संदरता �लया और उ� अपने साथ अपने नगर (वतर्मान
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प्राचीनकालीन �व�ा क� ऐसी ही सा� स े
अलग ही प�रल��त होती ह, ठीक उसी तरह भारत गुजरात) ल आए। माना जाता ह �क माधवपुर म� ही
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जुड़ी �नशानी ह ‘माधवपुर का मेला’।
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क� इद्रधनुषी सं��त और पर�राए उसे स�ूण र् श्रीक� और रु��णी का �ववाह संप� हुआ और
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�व� म� सब से अनूठा, अ��तीय बनाती ह। हमारे माचर्-2022 क अपने ‘मन क� बात’ स�ोधन म � उसी क प्रतीक क रूप म� यहाँ उ�व मनाया जाता ह ै
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प्रधानमंत्री नरे� मोदी ने बताया, “माधवपुर
दश का �ववरण करते समय सबसे प्रच�लत और �वशाल मेला लगता ह। ै
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मेला” गुजरात क पोरबंदर म� समुद्र क पास
�ट�णी आती ह ‘�व�वधता म� एकता’। लगभग 33
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माधवपुर गाँव म� लगता ह। ल�कन इसका यहाँ पर ��त 15व� शता�ी का माधवराई मं�दर इस
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लाख-वगर्-�कलोमीटर क �ेत्रफल म� फल हमारे
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�ह�ु�ान क पूव� छोर से भी नाता जुड़ता ह। ै �ान क� प्रमा�णकता को प्रद�श�त करता ह। लगभग
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दश म� अनेक भाषाए, मा�ताए और पर�राए ह।
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आप सोच रह ह�ग� �क ऐसा कसे संभव ह? तो एक स�ाह चलने वाल इस आयोजन क दौरान
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इतनी �व�वधता क बावजूद हम सभी दशवा�सय�
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इसका भी उ�र एक पौरा�णक कथा से ही भगवान श्रीक� का �वग्रह एक सुरूच और सुस��त
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को जोड़ती कछ क�ड़याँ ह—एक साझा इ�तहास,
�मलता ह। कहा जाता ह �क हजार� वषर् पूव र्
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हमारे सं�ार, हमारे मू� और हमारी पौरा�णक रथ म� गांव क� प�रक्रमा करता ह। यह �ोहार-रुपी
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भगवान श्री क� का �ववाह, नॉथर्-ई� क�
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कथाए। शायद यही बनाता ह हम� 'एक भारत, श्रे� मेला उस अमर यात्रा का ज� भी मनाता ह जो
राजकमारी रु��णी से हुआ था। ये �ववाह
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भारत'। और इसी भाव को जन-मन म � रु��णी ने भगवान श्रीक� क साथ अरुणाचल
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पोरबंदर क माधवपुर म� संप� हुआ था और
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फलने-फलने क �लए सरकार और सं��त प्रदश से गुजरात तक क� थी। वा�व म�, माधवपुर
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उसी �ववाह क प्रतीक क रूप म� आज भी वहा ं
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मंत्रालय ने भी आहूत �कया एक प्रयास और इस मेला प्रधानमंत्री जी क 'एक भारत, श्रे� भारत' क
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माधवपुर मेला लगता ह। ई� और वे� का य े
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�व�वधता क अंश को जन-जन तक पहुचाने क संक� का जीता-जागता उदाहरण ह। ै
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गहरा नाता, हमारी धरोहर ह।”
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49 �लये शुरू हुआ ‘एक भारत, श्रे� भारत’ कायर्क्रम। 50