Page 26 - Mann Ki Baat- Speech
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                                                 बंसीलाल-पेट कआं,                            मुप�मश्री नारायण : एक चैत�
                                                                                                 ृ
                                                                       ं
                                                      ं
                                                 �सकदराबाद, तेलगाना का                       प्रक�तसेवी क� प्रेरणादायक
                                                 जीण��ार : जनभागीदारी स             े        कहानी
                                                 जल संर�ण                                    9  साल  पहल  म�ने  प��य�,  �गलह�रय�  और  अ�
                                                                                                         े
                                                                                             जानवर� को पीने का पानी उपल� कराने क बारे म  �
                                                                                                                                 े
                                                                ं
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                                                 हदराबाद  क  �सकदराबाद  इलाक  म�  ��त
                                                                            े
                                                                                                                                     े
                                                                                             सोचा था। यह �वचार मेरे मन म� तब आया जब म�ने दखा
                                                 खूबसूरत  �वरासती  बावड़ी  बंसीलाल-पेट  कआ  ं  �क एक प�ी पीने क पानी क� कमी क कारण मर रहा
                                                                                   ु
                                                                                                                           े
                                                                                                             े
                                                     े
                                                 �पछल  42  साल  से  कड़  से  पटा  पड़ा  था।  नगर   ह। इस घटना ने मेरे मन म� घर कर �लया और म� इस
                                                                   े
                                                                  ू
                                                                                              ै
                                                                                     े
                                                 प्रशासन  ने  लोग�  क�  सहायता  और  समथर्न  क   सम�ा का समाधान खोजने क �लए दृढ़ संक��त हो
                                                                                                                     े
                                                 साथ  बावड़ी  का  जीण��ार  करने  का  कायर्भार   गया।  उसी  �दन  म�ने  प��य�  क  �लए  पीने  का  पानी
                                                                                                                      े
                                                                         े
                                                 संभाला।  इस  जनभागीदारी  क  अ�भयान  म  �    उपल�  कराने  का  प्रयास  शुरू  �कया।  म�ने  ‘Pots  for
                                                 �व�भ�  गैर  सरकारी  संगठन,  सफाई  कमर्चारी   water of life’ नामक एक प्रयास क� योजना बनाई।
                                                 और �ानीय लोग शा�मल थे और इस 53 फ�ट
                                                                                             प�रयोजना क तहत म�ने अपने सा�थय� तक, प��य� को
                                                                                                       े
                                                 गहरी अ�ुत बावड़ी से लगभग 2000 टन कचरा
                                                                                                                                 े
                                                                                             पीने का पानी उपल� कराने क �लए �म�ी क बतर्न�
                                                                                                                      े
                                                 हटाया गया।
                                                                                                                                   े
                                                                                             क� आपू�त�  क�। म� उ� प��य� क� �ास बुझाने क �लए
                                                                                                              �
                                                                                                                                  े
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                                                                                                             े
                                                 ”वषार्  जल  प�रयोजना”  क�  सं�ापक  और  इस   इनम�  पानी  रखने  क  �लए  कहता  हू।  समय  क  साथ
                                                                                                                      ै
                                                                                                                                   े
                                                                                                                                      े
                                                 आंदोलन म� स�क्रय योगदानकतार् क�ना रमेश      बतर्न� क� सं�ा बढ़ती रहती ह। म�ने हर साल दश क
                                                                                             अलग-अलग �ह�� म� हजार� बतर्न बांटना शुरू �कया।
                                                       �
                                                 कहती  ह  �क  बंसीलाल-पेट  जैसी  बावड़ी  शहरी
                                                                                             इससे लाख� प��य�, �गलह�रय� आ�द को पीने का पानी
                                                 बाढ़, भूजल प्रदूषण क� बड़ी सम�ाओं को कम
                                                                                             �मलता था।
                                                           �
                                                 कर सकती ह और वषार् जल संचयन का स्रोत बन
                                                 सकती ह। ै                                   तीन  साल  पहल  म�ने  �ाउट  और  गाइड  छात्र�  क�
                                                                                                          े
                                                                                             भागीदारी क �वषय म� सोचा और इस तरह म� कासरगोड
                                                                                                      े
                                                 जीण��ार  ग�त�व�धय�  से  जुड़  पयार्वरण�वद्
                                                                          े
                                                                                                     ु
                                                                                             से क�ाकमारी तक प�रयोजना का �व�ार कर सका।
                                                 एमवी रामचंद्रुडु  का मानना ह �क बंसीलाल-पेट
                                                                       ै
                                                                                                                   े
                                                                                                  े
                                                                                             �पछल साल म�ने महारा� क वधार् म� सेवाग्राम आश्रम म  �
                                                 बावड़ी संर�ण क� एक मजबूत परंपरा का प्रतीक
                                                                                                                                   े
                                                                                             बतर्न �वत�रत �कए। इस आश्रम म� दु�नया भर क कई
                                                  ै
                                                                    े
                                                                         े
                                                 ह  जहां  लोग  �व�भ�  उ���  क  �लए  पानी  का
                                                                                             रा�ा���,  राजनेताओं,  सा�ह�कार�  और  ऐस   े
                                                 संचय करने म� स�म थे।
                                                                                             प्रभावशाली लोग� का आवागमन होता ह। जब वे आश्रम
                                                                                                                            ै
                                                                                                           �
                                                                                                                                 ै
                                                                                                ँ
                                                                                                    �
                                                 ग्रेटर हदराबाद नगर �नगम क जोनल क�म�र        पहुचते  ह  तो  उ�  मेरा  एक  घड़ा  �दया  जाता  ह।  जब  व  े
                                                      ै
                                                                       े
                                                                                                                   �
                                                                                                                                    े
                                                                                                                             े
                                                                                                          े
                                                                                                              े
                                                 श्री�नवास  रे�ी  ने  जोर  दकर  कहा  �क      बतर्न को अपने दश ल जाते ह तो यह उनक अपने दश म  �
                                                                         े
                                                                                             दान कायर् करने क �लए प्रेरणा बन जाता ह और इस
                                                                                                                                ै
                                                                                                            े
                                                 बंसीलाल-पेट  जैसी  बाव�ड़य�  क�  बहाली  आन  े
                                                                                             प्रकार यह प�रयोजना पूरी दु�नया म� फली हुई ह। ै
                                                                                                                          ै
                                                 वाली  पी�ढ़य�  को  बताएगी  �क  100-150  साल
                                                    े
                                                 पहल  इस  तरह  क�  खूबसूरत  संरचनाओं  का     मुझे  यह  कहते  हुए  खुशी  हो  रही  ह  �क  इस  साल  यह
                                                                                                                        ै
                                                        ै
                                                 �नमार्ण  कसे  �कया  गया  था  और  यह  �ानीय   सं�ा एक लाख बतर्न� क आसपास चल रही ह। अब म  �
                                                                                                                 े
                                                                                                                                 ै
                                                                                                                                                                     े
                                                 लोग� क� पानी से संबं�धत जरूरत� को कसे पूरा   अपनी मह�ाकां�ा को पूरा करने क� �दशा म� अ�ंत             श्री नारायण मुप�म क अ�भयान
                                                                                ै
                                                                                                                                                      को बेहतर समझने क �लये
                                                                                                                                                                    े
                                                 करते थे।                                    संतु� हू।
                                                                                                    ं
                                                                                                                                                      QR code scan कर�।
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