Page 14 - Mann Ki Baat December 2022
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ये प्यास छसफ्क समाज के भीतर ही नहीं, अनुभव आ रहा है। समाज में भी गाँव-
बशलक सरकार के भीतर भी हो रहे हैं। गाँव, शहर-शहर में भी उसी प्कार से
लगातार इन प्यासों का िररणाम यह ़्फतरों में भी ये अछभयान ्ेश के छलए
है– कूड़ा-कचरा हटने के कारण, छबन भी हर प्कार से उियोगी छसद् हो रहा है।
़जरूरी सामान हटने के कारण, ़्फतरों
में का़फी जगह खुल जाती है, नया सिेस मेरे पयारे ्ेशवाछसयो, हमारे ्ेश में
छमल जाता है। िहले जगह के अभाव में अिनी कला-संसकृछत को लेकर एक नई
्ूर-्ूर छकराए िर ़्फतर रखने िड़ते जागरूकता आ रही है, एक नई चेतना
थे। इन छ्नों ये सा़फ-स़फाई के कारण जागृत हो रही है। ‘मन की बात’ में हम
इतनी जगह छमल रही है छक अब एक ही अकसर ऐसे उ्ाहरणों की चचा्ष भी करत े
सथान िर सारे ़्फतर बै्ठ रहे हैं। छििले हैं, जैसे कला, साछहतय और संसकृछत
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छ्नों सूचना और प्सारण मंत्रालय ने भी समाज की सामछहक िँजी होते हैं, वैस े
मुमबई में, अहम्ाबा् में, कोलकता में, ही इनहें आगे बढ़ाने की छजममे्ारी भी
छशलांग में, कई शहरों में अिने ़्फतरों में िूरे समाज की होती है। ऐसा ही एक
भरिूर प्यास छकया और उसके कारण सफल प्यास लक्द्ीि में हो रहा है। यहा ँ
आज उनको ्ो-्ो, तीन-तीन मंछजलें, िूरी कलिनी द्ीि िर एक कलब है– कूमेल
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तरह से नए छसरे से काम में आ सक, ब््स्ष चैलेंजस्ष कलब। ये कलब युवाओं
ऐसी उिलबध हो गईं। ये अिने आि में को सथानीय संसकृछत और िारमिररक
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सवचिता के कारण हमारे संसाधनों का कलाओं के संरक्ण के छलए प्ररत
ऑशपटमम यूछटलाइजेशन का उत्तम करता है। यहाँ युवाओं को लोकल आट्ड
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